Shaktikanta Das: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ने की संभावना है. सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है कि सरकार केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में शक्तिकांत दास का कार्यकाल दूसरी बार बढ़ा सकती है. अगर ऐसा होता है, तो वह 1960 के दशक के बाद सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहने वाले गवर्नर बन जाएंगे.
शक्तिकांत दास का कार्यकाल दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर के तौर पर शुरू हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन में उन्हें एक भरोसेमंद ब्यूरोक्रेट के रूप में जाना जाता है. दास का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था और केंद्रीय बैंक के लिए कई अहम फैसलों का समय रहा है, जिनमें महंगाई नियंत्रण, मुद्रा स्थिरता और ब्याज दर प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं. उनका नेतृत्व भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक साबित हुआ है, खासकर कोरोना महामारी के बाद के आर्थिक संकट से निपटने में.
सरकार और आरबीआई में स्थिरता का संदेश
इस मामले से जुड़े दो सरकारी सूत्रों ने जानकारी दी है कि फिलहाल किसी अन्य उम्मीदवार पर विचार नहीं किया जा रहा है. ना ही इस पद के लिए कोई चयन समिति बनाई गई है. ऐसे में दास के कार्यकाल को कम से कम एक और साल के लिए बढ़ाए जाने की संभावना है. इस फैसले पर अंतिम मुहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगाए जाने की बात कही जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र राज्य चुनावों के बाद इस पर घोषणा की जा सकती है.
ग्लोबल फाइनेंस अवॉर्ड से मिली सम्मान
हाल ही में, अमेरिकी मैगजीन 'ग्लोबल फाइनेंस' ने शक्तिकांत दास को लगातार दूसरी बार टॉप केंद्रीय बैंकर का अवॉर्ड दिया. दास को 'ए प्लस' रेटिंग दी गई और उन्हें ग्लोबल स्तर पर तीन केंद्रीय बैंक गवर्नरों में टॉप पर रखा गया. इस रेटिंग को मुद्रास्फीति नियंत्रण, आर्थिक वृद्धि लक्ष्यों की प्राप्ति, मुद्रा स्थिरता और ब्याज दरों के प्रबंधन में उनकी सफलता के आधार पर दिया गया. यह सम्मान दास के नेतृत्व में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कदमों का परिचायक है.
शक्तिकांत दास का प्रभावी नेतृत्व भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है. दास के नेतृत्व में आरबीआई ने कई अहम नीतियाँ बनाई हैं, जिनका असर सीधे भारतीय बाजार और मुद्रा पर पड़ा. उनकी नीतियों से भारतीय अर्थव्यवस्था को न सिर्फ महामारी के संकट से उबरने में मदद मिली, बल्कि मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण पाया गया. इसके साथ ही, उन्होंने ब्याज दरों का ऐसा संतुलन रखा, जिससे आर्थिक वृद्धि की राह को बनाए रखा गया.
इस समय आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल बढ़ाना सरकार के स्थिरता और भरोसे का प्रतीक है. इस फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. अगर दास का कार्यकाल बढ़ता है, तो यह भारतीय रिजर्व बैंक और देश की आर्थिक दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. First Updated : Monday, 18 November 2024