जस्टिस वर्मा का तबादला रोकेगा सुप्रीम कोर्ट? बार एसोसिएशन की मांग पर CJI का बड़ा बयान!
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर पर वकीलों का विरोध जारी है. इस बीच CJI संजीव खन्ना ने भरोसा दिया है कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. बार एसोसिएशन की हड़ताल, जली हुई नकदी का मामला और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया—पूरा मामला बेहद दिलचस्प हो गया है. जानिए, इस तबादले के पीछे की पूरी कहानी!

New Delhi: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले को लेकर उठे विवाद पर देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने वकीलों को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. इस मुद्दे पर गुरुवार (27 मार्च, 2025) को इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन समेत छह हाई कोर्ट के बार निकायों के प्रतिनिधियों ने CJI और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों से मुलाकात की. वकीलों की मांग है कि जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का फैसला वापस लिया जाए.
तबादले के खिलाफ वकीलों का विरोध जारी
जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. इस फैसले के विरोध में गुरुवार को इलाहाबाद, गुजरात, केरल, जबलपुर, कर्नाटक और लखनऊ हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने CJI को ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगों को उनके सामने रखा.
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि CJI ने उनकी मांगों पर विचार करने और कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की संभावना पर विचार करने का आश्वासन दिया है.
आग की घटना और अधजली नकदी का मामला
इस पूरे विवाद के पीछे 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर लगी आग की घटना है. इस आग में कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी जली हुई मिली थी जिससे मामला और विवादास्पद हो गया. वकीलों ने इस घटना में एफआईआर दर्ज न होने पर भी सवाल उठाए हैं.
बार एसोसिएशन के ज्ञापन में मांग की गई है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत कार्रवाई की जाए. ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि आग लगने के बाद अगले ही दिन जस्टिस वर्मा के आवास से कुछ सामान हटा दिया गया था, जिससे इस मामले में और संदेह बढ़ गया है.
CJI ने जांच के लिए बनाई कमेटी
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को एक तीन-सदस्यीय जांच समिति गठित की थी. इसके अलावा, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया है. हालांकि जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी स्टोररूम में नकदी नहीं रखी.
क्या कॉलेजियम अपना फैसला बदलेगा?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कॉलेजियम वकीलों की मांग पर अपना फैसला बदलेगा? CJI ने आश्वासन तो दिया है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. फिलहाल वकीलों की हड़ताल जारी है और सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के अगले कदम पर टिकी हैं.