क्या वक्फ कानून पर आज सुप्रीम कोर्ट लगाएगा स्टे? जानिए किन प्रावधानों पर फंसा पेंच
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 'वक्फ बाय यूजर', सरकारी जमीन और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य जैसे प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई गई. आज इस मामले पर फिर से सुनवाई होनी है.

वक्फ कानून (Waqf Act) को चुनौती देने वाली 70 से ज्यादा याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. करीब दो घंटे चली इस सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे और वक्फ कानून से जुड़े कई प्रावधानों पर गंभीर आपत्तियां जताई. कोर्ट की सख्त टिप्पणियों ने केंद्र की चिंताओं को और बढ़ा दिया है. गुरुवार यानी आज इस मामले पर फिर से सुनवाई होनी है.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें रखीं. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए कोर्ट में मौजूद थे. बहस के दौरान तीन प्रमुख मुद्दे उभर कर सामने आए- ‘वक्फ बाय यूजर’ की वैधता, सरकारी जमीन पर वक्फ का अधिकार और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी.
क्या है 'वक्फ बाय यूजर'?
‘वक्फ बाय यूजर’ का मतलब ऐसी संपत्ति से है, जो लंबे समय से इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए उपयोग हो रही हो, भले ही उसका रजिस्टर्ड दस्तावेज मौजूद ना हो. सुप्रीम कोर्ट में वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि देशभर में करीब 8 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से 4 लाख से ज्यादा इसी श्रेणी में आती हैं. उन्होंने चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में हुए संशोधनों के बाद इन संपत्तियों का दर्जा खतरे में पड़ सकता है.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि मेरे पास एक जमीन है और मैं चाहता हूं कि उस पर एक अनाथालय बनवाऊं, तो इसमें समस्या क्या है? मेरी जमीन है, मेरी मर्जी है. सरकार मुझसे जबरदस्ती रजिस्ट्री की मांग क्यों करेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने जताई आपत्ति
नए वक्फ कानून में ये प्रावधान है कि अगर कोई जिला कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी भूमि घोषित करता है, तो वो संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी, जब तक कोर्ट अंतिम फैसला ना दे. इस पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि केवल कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर वक्फ का दर्जा खत्म नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने सुझाव दिया कि जांच की जा सकती है, लेकिन उसका प्रभाव अंतिम फैसले तक लागू ना हो.
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य?
संशोधन कानून के अनुसार, वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है. कोर्ट ने केंद्र से सीधा सवाल पूछा कि क्या आप हिंदू धार्मिक ट्रस्ट में मुस्लिम सदस्य नियुक्त करेंगे? इसके साथ ही कोर्ट ने सुझाव दिया कि स्थायी सदस्यों को मुस्लिम होना चाहिए, जबकि एक्स-ऑफिशियो सदस्यों में गैर-मुस्लिम शामिल हो सकते हैं.
कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद ये मामला संवेदनशील मोड़ पर आ गया है. अगली सुनवाई में केंद्र सरकार को कई सवालों के जवाब देने होंगे. वक्फ कानून को लेकर शुरू हुई ये कानूनी लड़ाई अब धार्मिक अधिकार, संपत्ति का स्वामित्व और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा से जुड़ती दिख रही है.


