क्या लोकसभा से पास होगा वक्फ बिल? बीजेपी के पास 240 सांसद, जानें मोदी सरकार कैसे जुटाएगी बहुमत, विपक्ष की बड़ी चुनौती

वक्फ संशोधन बिल 2024 पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी. बहस के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किया गया है. लोकसभा में बिल पास कराने के लिए बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा है. बीजेपी के पास अपने सहयोगियो समेत 293 सांसद हैं. बहुमत के लिए 272 वोटों की जरूरत होगी, जबकि विपक्ष के पास 235 सदस्यों का ही समर्थन प्राप्त है. वाईएसआरसीपी और शिरोमणि अकाली दल ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

विवादास्पद वक्फ संशोधन बिल 2024 ने बुधवार को लोकसभा में हंगामे का मंच तैयार कर दिया है, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इसे चर्चा और पारित करने के लिए सदन में पेश किया है, जबकि विपक्ष लगातार हंगामे के बीच सदन में पेश किया गया. विपक्ष में भारतीय ब्लॉक पार्टियां शामिल थीं, जिन्होंने मंगलवार को प्रस्तावित कानून को असंवैधानिक करार देते हुए सदन से वॉकआउट किया. 

विपक्ष ने किया वॉकआउट

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बीएसी की बैठक के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बिल को लेकर तीखी बहस के शुरुआती संकेत मिले, क्योंकि कांग्रेस और कई अन्य भारतीय ब्लॉक के सदस्यों ने सरकार पर उनकी आवाज़ दबाने का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया. हालांकि, राजनीतिक तनाव और बहस की लंबाई के नतीजे पर असर पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास लोकसभा में मजबूत बहुमत है.

लोकसभा में संख्या बल कितना है?

लोकसभा की 542 सदस्यों में से एनडीए के पास सदन में 293 सीटें हैं. भाजपा अक्सर स्वतंत्र सदस्यों और छोटी पार्टियों से समर्थन हासिल करने में सफल रही है. कानून बनने के लिए वक्फ संशोधन विधेयक को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में पारित होना होगा, उसके बाद राष्ट्रपति द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.  

वक्फ बिल के समर्थन में पार्टियां

भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त है, जहां विधेयक पारित करने के लिए 272 मतों की आवश्यकता होती है. एनडीए को समर्थन देने वाले 293 सांसदों में से भाजपा के 240 सदस्य हैं, उसके बाद तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के 16, जनता दल (यूनाइटेड) के 12, शिवसेना के सात, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पांच और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस), जन सेना पार्टी (जेएसपी) तथा सात अन्य के दो-दो सदस्य हैं. 

जेडीयू-टीडीपी का क्या है रुख?

जेडीयू और टीडीपी ने अपना रुख पहले ही जाहिर कर दिया है. ऐसे में बीजेपी को लोकसभा में बिल पास कराने में कोई परेशानी नहीं आने वाली है. बता दें कि जेडीयू और टीडीपी ने कुछ चिताएं जताई थीं, जिसका समाधान कर दिया गया है. इस बीच जेडीयू ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है. वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि पार्टी ने केंद्र के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है और उन्हें उम्मीद है कि उनका समाधान किया जाएगा.

वक्फ बिल का विरोध करने वाली पार्टियां

विपक्षी दलों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है और इसे असंवैधानिक तथा मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए हानिकारक बताया है. कई प्रमुख मुस्लिम संगठन इस विधेयक के खिलाफ सक्रिय रूप से समर्थन जुटा रहे हैं. बिल के खिलाफ भारत ब्लॉक के अभियान का नेतृत्व करते हुए कांग्रेस के पास लोकसभा में 99 सीटें हैं, उसके बाद समाजवादी पार्टी 37, टीएमसी 28, डीएमके 22, शिवसेना (यूबीटी) 9, एनसीपी-एसपी 8, सीपीआईएम 4, आरजेडी 4, आप 3, जेएमएम 3, आईयूएमएल 3 और जेके नेशनल कॉन्फ्रेंस 2 और 13 अन्य हैं.

इस प्रकार एनडीए के 293 मजबूत सदस्यों के मुकाबले कुल 235 सीटें आती हैं. इन सभी दलों के नेताओं ने व्यक्त किया है कि वे मतदान के दौरान बिल के खिलाफ मतदान करेंगे. एआईएमआईएम के एकमात्र सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं, हालांकि वह भारत ब्लॉक का हिस्सा नहीं हैं. वाईएसआरसीपी और शिरोमणि अकाली दल ने अभी तक अपना रुख उजागर नहीं किया है. 

वक्फ संशोधन विधेयक पृष्ठभूमि

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा सुझाए गए बदलावों को शामिल किया गया है, विधेयक को शुरू में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था और अगस्त 2024 में इसे जेपीसी को भेज दिया गया था. संसदीय पैनल ने समिति के सभी 11 विपक्षी सांसदों की आपत्तियों के बावजूद बहुमत से रिपोर्ट को अपना लिया, जिन्होंने असहमति नोट भी प्रस्तुत किए. 655 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट इस माह के प्रारम्भ में संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की गई थी.कसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता वाली लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी), जिसमें सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हैं, ने आठ घंटे की बहस पर सहमति जताई है, जिसे सदन की राय जानने के बाद बढ़ाया जा सकता है.

calender
01 April 2025, 08:39 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag