Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर से भी ज़्यादा बढ़ चुका है, और हवा की गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से पार हो चुका है, जिससे ग्रैप-4 लागू करना पड़ा है. इसके तहत स्कूलों को बंद कर दिया गया है और लोगों को घरों के अंदर रहने की सलाह दी गई है. सर्दियों में प्रदूषण का यह हाल कई सालों से बनता आ रहा है.
एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के मुताबिक, प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों की औसत उम्र 10 साल कम हो रही है, लेकिन इसके बावजूद कोई भी सरकार इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है. क्या लॉकडाउन से प्रदूषण कम किया जा सकता है? इस सवाल का जवाब हम विशेषज्ञों से जानने की कोशिश कर रहे हैं.
कोरोना लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में हवा साफ हुई थी और नीला आसमान दिखा था. 2020 में लॉकडाउन के पहले 21 दिनों में आनंद विहार में PM 2.5 का स्तर 300 से गिरकर 101 तक आ गया था. लेकिन सवाल यह है कि क्या लॉकडाउन प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है?
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के फाउंडर डॉ. शुचिन बजाज का कहना है कि लॉकडाउन से प्रदूषण में अस्थायी कमी आ सकती है, लेकिन यह स्थायी उपाय नहीं है. उन्होंने 1950 में ब्रिटेन के ग्रेट स्मॉग का उदाहरण दिया, जहां प्रदूषण की वजह से 12,000 लोग मारे गए, लेकिन लॉकडाउन नहीं लगाया गया था. इसके बजाय सरकार ने ठोस कदम उठाए. उनका मानना है कि दिल्ली को भी प्रदूषण से निपटने के लिए ऐसी ही मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी.
अमृतधारा हॉस्पिटल के डॉक्टर शमित गुप्ता भी इस बात से सहमत हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन से पराली जलाने जैसी समस्याएं खत्म नहीं हो सकतीं, जो दिल्ली के प्रदूषण का लगभग 35% कारण हैं. इसके अलावा, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्य, और स्थिर हवा जैसे कारण भी प्रदूषण को बढ़ाते हैं.
1. सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: अगर दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर और सुलभ बनाया जाए तो लोग निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करेंगे, जिससे प्रदूषण घटेगा. प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना और दंड भी लगाया जा सकता है.
2. पराली जलाने पर रोक: सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कदम उठा सकती है. पराली खरीदने या अन्य विकल्प देने के उपाय किए जा सकते हैं.
3. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ानी होगी ताकि लोग पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों का कम इस्तेमाल करें. लोगों को प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा.
4. राजनीतिक इच्छाशक्ति: डॉ. बजाज का कहना है कि दिल्ली प्रदूषण पर विजय प्राप्त कर सकती है, लेकिन इसके लिए राजनीतिक संकल्प और गंभीर प्रयासों की जरूरत है. प्रदूषण को चुनावी मुद्दा बनाना पड़ेगा, ताकि इसे प्राथमिकता मिल सके.
डॉ. बजाज ने बीजिंग का उदाहरण दिया, जहां 10 साल पहले AQI 100 से ऊपर था, लेकिन चीन ने प्रदूषण से निपटने के लिए बड़ी योजना बनाई और 2022 तक AQI को 30 तक लाया. उन्होंने सवाल उठाया, "अगर चीन ऐसा कर सकता है, तो भारत क्यों नहीं?"
लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में एक स्टडी के मुताबिक, वायु प्रदूषण सबराकनॉइड हैमरेज (ब्रेन स्ट्रोक) की बड़ी वजह बन सकता है. 2021 में इस कारण होने वाली लगभग 14% मौतें और विकलांगता के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार था. First Updated : Tuesday, 19 November 2024