'जबरन वसूली और मिनी पाकिस्तान' ने महाराष्ट्र की सियासत में मचाई खलबली, टैंशन में फडणवीस
राज्य की सियासत में खलबली मचाने वाला नया विवाद सामने आया है. महायुति सरकार के दो मंत्रियों की ओर से 'जबरन' वसूली और 'मिनी पैकिस्तान' जैसे विवादित बयान देने से सीएम देवेंद्र फड़णवीस पके लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. इन बयानों ने न केवल विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दिया बल्कि गठबंधन के अंदरूनी तनाव को भी उजागर किया है. अब इस मामले को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है. इस कारन अब सभी की नेजरे सरकार के अगले कदम पर हैं.
महाराष्ट्र: मुंबई: महाराष्ट्रर सरकार को बने हुए अभी एक महीने से कम समय हुआ है पर उसके सीएम टैंशन में आ गए हैं। यह सब दो मंत्रियों के कारण हुआ है. इनमें एक मंत्री अतीज पवार वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के धनंजय मुंडे और दूसरे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नितेश राणे का नाम शामिल है. अब विपक्ष राज्य मंत्रिमंडल से उनके निष्कासन की मांग कर रहा है. बीड जिले के परली से विधायक मुंडे को वाल्मिक कराड के साथ अपनी निकटता के कारण विपक्ष की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. इन्हें जबरन वसूली के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है और उनका बीड जिले के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या में भी हाथ बताया जा रहा है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे राणे को पूरे केरल राज्य को "मिनी पाकिस्तान" कहने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए इसे "गंभीर रूप से दुर्भावनापूर्ण और पूरी तरह से निंदनीय" बताया.
दो समुदायों के बीच दरार पैदा करना
कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि गुंडागर्दी करके दो समुदायों के बीच दरार पैदा करना और भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल करना महायुति मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए पात्रता मानदंड प्रतीत होता है. इसलिए ऐसा लगता है कि महायुति के भीतर नेताओं के बीच समय-समय पर ऐसे बयान देकर अपनी योग्यता साबित करने की होड़ लगी हुई है. महायुति में भाजपा, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं.
पार्टियों ने जानबूझकर साध रखी चुप्पी
दोनों मंत्रियों के मामले में उनकी संबंधित पार्टियों ने जानबूझकर चुप्पी साध रखी है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंडे के इस्तीफे की मांग पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इस बीच, सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि वह इस मामले की राजनीति में नहीं पड़ना चाहता, लेकिन हम उन सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे. उनके खिलाफ हमें सबूत मिलेंगे. जांच में किसी का दबाव नहीं होगा. हम गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेंगे. मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण काम संतोष देशमुख की हत्या के पीछे के आरोपियों को सजा दिलाना है.
पत्रकार ने सवाल पूछा तो नहीं दिया जवाब
महाराष्ट्र बीजेपी के प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने राणे के बयान के संबंध में एक मीडिया के पत्रकार ने फोन पर सवाल पूछा था पर उन्होंने जवाब नहीं दिया. सिंधुदुर्ग जिले के कंकावली से विधायक राणे पहली बार मंत्री बने हैं, जबकि मुंडे पूर्ववर्ती एकनाथ शिंदे नीत महायुति सरकार के साथ-साथ उद्धव ठाकरे नीत महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में भी मंत्री थे. हालांकि, दोनों नेताओं के लिए विवादों से दूर रहना कोई नई बात नहीं है.
धनंजय मुंडे और उनका दाहिना हाथ
दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे, फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग संभाल रहे हैं। तीन सप्ताह तक फरार रहने के बाद मंगलवार को पुणे क्रिमिनल इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट के सामने आत्मसमर्पण करने वाले कराड को मुंडे का खास आदमी और उनका दूसरा रूप माना जाता है। उन्हें मंत्री के लिए हर चीज का प्रबंधन करने के लिए जाना जाता है, चाहे वह उनकी रैलियां और बैठकें हों या फिर चुनाव प्रचार।
आत्मसमर्पण करने से पहले मीडिया पर संदेश किया जारी
आत्मसमर्पण करने से पहले कराड ने मीडिया को एक वीडियो संदेश जारी किया. उसमें कहा गया कि उनके खिलाफ कथित जबरन वसूली का मामला झूठा है और राजनीतिक प्रतिशोध के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. 9 दिसंबर को बीड के कैज तालुका के मासजोग गांव के सरपंच 45 वर्षीय संतोष देशमुख की हत्या कर दी गई. उनके परिवार ने हत्या में कराड की संलिप्तता का आरोप लगाया था. कहा था कि देशमुख की हत्या इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने एनसीपी से जुड़े लोगों की जबरन वसूली की कोशिशों को नाकाम करने की कोशिश की थी.
2 करोड़ रुपए की कथित जबरन वसूली
हत्या से ठीक पहले, कराड को बीड में एक पवनचक्की कंपनी से 2 करोड़ रुपए की कथित जबरन वसूली के मामले में आरोपी बनाया गया था. बुधवार को एक स्थानीय अदालत ने उसे 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. नाम न बताने की शर्त पर एनसीपी के एक नेता ने मीडिया को बताया कि कराड पहले गोपीनाथ मुंडे के घर में नौकर थे और धीरे-धीरे उन्होंने मुंडे का भरोसा जीत लिया. वह पंडित अन्ना मुंडे के भी करीबी हो गए, जो गोपीनाथ मुंडे के भाई और धनंजय मुंडे के पिता थे. जब धनंजय मुंडे 2013 में भाजपा छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए, तो कराड भी उनके साथ ले लिया गया.
बीड जिले में बढ़ता गया कराड का प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों में मुंडे परिवार के समर्थन से बीड जिले में कराड का प्रभाव बढ़ता गया और वे 2001 में पहली बार वहां पार्षद बने. उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल के अनुसार, वे परली नगर परिषद के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में बीड जिला योजना एवं विकास समिति के सदस्य हैं.
बिना तारीख किया गया था वीडियो जारी
पिछले हफ़्ते शरद पवार की अगुआई वाली एनसीपी के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सोशल मीडिया पर धनंजय मुंडे की चचेरी बहन पंकजा मुंडे के भाषण का एक छोटा वीडियो शेयर किया था. किस दिन यह वीडियो जारी किया गया था. इसके कोई पता नहीं चल सका. पर इतना जरूर है कि वीडियो में वह एक रैली को संबोधित करते हुए पूछती हुई नज़र आ रही हैं कि वाल्मिक कराड भीड़ में कहां हैं. और उन्हें "वह व्यक्ति बताया जिसके बिना धनंजय मुंडे काम नहीं कर सकते.
कराड को कर लिया गया गिरफ्तार
मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए, आव्हाड ने कहा कि कराड को गिरफ़्तार कर लिया गया है, लेकिन उनके वरिष्ठ अभी भी बाहर हैं. महाराष्ट्र के इतिहास में जब भी किसी मौजूदा मंत्री के ख़िलाफ़ ग़लत काम करने के आरोप लगे हैं, तो उन्होंने कुर्सी छोड़ दी है. शनिवार को कराड की गिरफ्तारी और धनंजय मुंडे के इस्तीफे की मांग को लेकर बीड में बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ।
भाजपा के गढ़ में की अपनी उपस्थिति स्थापित
अतीत में धनंजय मुंडे अविभाजित एनसीपी के लिए एक संपत्ति रहे हैं, जिन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र में बीड के भाजपा के गढ़ में अपनी उपस्थिति स्थापित की है. जब 2023 में एनसीपी का विभाजन हुआ, तो धनंजय मुंडे ने अजित पवार के साथ गठबंधन किया. इसके बाद महायुति सरकार में शामिल हो गए. हालांकि, उन्होंने पहले भी अपनी पार्टी को शर्मनाक स्थिति में डाला है।
धनंजय मुंडे पर लगे थे यौन उत्पीड़न के आरोप
ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में मंत्री रहते हुए धनंजय मुंडे पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे. इसे बाद में शिकायतकर्ता ने वापस ले लिया था। मुंडे ने हालांकि आरोपों से इनकार किया था, लेकिन पूरे प्रकरण में मंत्री ने खुलासा किया कि वह शिकायतकर्ता की बहन के साथ सहमति से संबंध में थे और उसके साथ उनके दो बच्चे भी थे।
धनंजय मुंडे का अफसर से झगड़ा हुआ
उन्होंने कहा कि उनके परिवार पत्नी और मित्रों को इस रिश्ते के बारे में पता था और उन्होंने बच्चों को स्वीकार कर लिया था. इन्हें मुंडे परिवार का नाम दिया गया था. महायुति सरकार में तत्कालीन कृषि मंत्री धनंजय मुंडे का अपने विभाग के एक सिविल सेवक से झगड़ा हो गया था. इसने उनकी कुछ योजनाओं को लागू करने से इनकार कर दिया था. अधिकारी को दूसरे विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था.