Women Reservation Bill: देश की नई संसद में महिला आरक्षण विधेयक पेश हो चुका है और इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की लगभग सहमति हैं लेकिन एक या दो गिनी चुनी पार्टियां है जो इसके खिलाफ है. लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इस बिल का आधिकारिक नाम संविधान के (128 वां संशोधन) विधेयक है. यह बिल मंगलवार 19 सितंबर को लोकसभा में पेश हो गया है.
साल 2024 का चुनाव आने वाला है ऐसे में मोदी सरकार अपने धीरे- धीरे सभी विधेयक पेश कर रही हैं और अपनी पर्याप्त बहुमत के दमपर पास भी करा रही है, इस बीच मोदी सरकार ने एक बिल पेश किया है जिसमें देश के सभी महिलाओं को 33 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा. इस बिल पर विपक्ष की भी सहमति है लेकिन इस बीच विपक्ष इस बिल को लेकर सत्ता पक्ष पर हमला बोलते हुए कह रहे है कि यह सब मोदी सरकार की चुनावी जुमला है.
अब ऐसे में एक सवाल खड़ा होता है कि यह बिल अगर लोकसभा और राज्यसभा में पास हो जाता है कि इसका लाभ महिलाओं को लाभ कब से मिलेंगा. इसको लेकर देश की राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई हैं.
इस बिल को लेकर देश की सियासत काफी गरमा गई है अब देखना यह होगा कि इस बिल को क्या मोदी सरकार करा पाएंगी पास, बताते चलें कि अगर सरकार चाहेगी तो आसानी से इस बिल को दोनों सदनों से पास किया जा सकता है. लोकसभा में किसी भी बिल को पास कराने के लिए भाजपा सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है और राज्यसभा में भी कुछ ही समर्थन के साथ सरकार इसे आसानी से पास करा सकती है.
देश में पहली बार कब पेश हुआ महिला आरक्षण बिल
महिला आरक्षण बिल देश में पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवेगौड़ा की सरकार के समय पेश करने का प्रयाश किया गया था. उस समय सरकार ने 81 वें संविधान विधेयक के रूप में संसद में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया. इसके तुंरत बाद देवगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गई और उन्हीं को सरकार दे रहे समर्थन में सपा नेता मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद इस बिल को खिलाफ थे.
जून 1997 में फिर इस विधेयक को पारित करने की कोशिश की गई तो उस वक्त शरद यादव ने इस विधेयक का विरोध करते हुए महिलाओं को अपमान किया था और उन्हें कहा कि वे क्या समझेंगी और वो क्या सोचेंगी.''?
वर्ष 1998 में लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी की NDA की सरकार आई और इसके कानून मंत्री ने बिल को पेश करने की कोशिश की लेकिन असफल हुए, साथ ही उन्होंने अगले वर्ष भी बिल को पारित करने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाएं.
वायपेयी सरकार ने साल 2003 में एक बार फिर महिला आरक्षण बिल पेश करने का प्रयास किया लेकिन संसद में जमकर हुआ और बिल स्थगित हो गया.
NDA की सरकार के बाद साल 2010 में UPA सरकार ने इस बिल को राज्यसभा में पेश किया, लेकिन समाजवादी पार्टी और राजद ने सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी. इसके बाद बिल पर मतदान स्थगित कर दिया गया.
यह बिल अभी पूरी तरह जनगणना और परिसीमन से जुड़ा हुआ है. अगर यह बिल पास हो जाता है तो जगणना होगी फिर इसके बाद परिसीमन होगा. फिर इसके बाद ही संविधान के संशोधन में लागू किया जाएगा, जो लागू होने की निश्चित तारीख से अगले 15 साल के लिए मान्य होगा.
आपको बता दें कि जनगणना साल 2021 में होने वाली थी लेकिन अभी तक नहीं हो पाई है, और इस बात की अभी कोई पुष्टि न जानकारी हुई है कि अगली जनगणना कब होगी. जनगणना के बाद परिसीमन होगा यानी कि आबादी के लिहाज से लोकसभा क्षेत्र का पुनर्निधारण किया जाएगा और तब जाकर इस कानून को लागू किया जाएगा. ऐसे में यह 2024 में लागू नहीं हो सकता है. हालांकि, इसे 2029 में लागू होने की उम्मीद है. First Updated : Tuesday, 19 September 2023