Uttarakhand tunnel Timeline : उत्तराखंड की सिल्क्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिशें रंग लाती दिख रही है. टनल की खुदाई के बाद सेना के जवान मजदूरों के करीब पहुंच गए हैं. थोड़ी ही देर में मजदूर सकुशल टनल के बाहर आ जाएंगे. 12 नवंबर से आज 28 नवंबर तक मजदूरों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए गए इसके बारे में हम आपको पूरी टाइमलाइन बता रहे हैं.
27 नवंबर : सुबह 3 बजे सिल्क्यारा की तरफ से फंसे ऑगर मशीन के 13.9 मीटर लंबे पार्ट्स को निकाल लिया गया. देर शाम तक ऑगर मशीन के हेड को भी सेना ने मलबे से निकाल लिया. इसके बाद रैट माइनर्स ने मैन्युअली ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया.
26 नवंबर : टनल से 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पहाड़ की चोटी पर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की गई. रात 11 बजे तक 20 मीटर तक खुदाई पूरी हुई. वर्टिकल ड्रिलिंग के तहत पहाड़ में ऊपर से नीचे की तरफ बड़ा होल करके रास्ता बनाने का काम शुरू हुआ. अधिकारियों ने कहा अगर कोई रुकावट नहीं आई तो हम 100 घंटे यानी 4 दिन में मजदूरों तक पहुंच जाएंगे.
25 नवंबर : शुक्रवार को ऑगर मशीन टूटने के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन रुक गया और शनिवार तक रुका रहा. इसके बाद इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अरनॉल्ड डिक्स का बयान आया कि अब ऑगर से ड्रिलिंग नहीं होगी, न ही दूसरी मशीन बुलाई जाएगी.
24 नवंबर : सुबह ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ तो ऑगर मशीन के रास्ते में स्टील के पाइप फंस गया और इससे काम बाधित हो गया. ऑगर मशीन को भी नुकसान हुआ था, उसे भी ठीक किया. वहीं NDRF ने मजदूरों को निकालने के लिए मॉक ड्रिल की.
23 नवंबर : ड्रिलिंग के दौरान तेज कंपन होने से मशीन का प्लेटफॉर्म धंस गया. अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन को तीन बार रोकना पड़ा और देर शाम ड्रिलिंग अगले दिन की सुबह तक रोक दी गई.
22 नवंबर : मजदूरों को नाश्ता, लंच और डिनर भेजने में सफलता मिली. सिल्क्यारा की तरफ से ऑगर मशीन से 15 मीटर से ज्यादा ड्रिलिंग की गई. मजदूरों के बाहर निकलने के मद्देनजर 41 एंबुलेंस मंगवाई. इसके बाद डॉक्टरों की टीम को मौके पर तैनात किया.
21 नवंबर : इस दिन एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई. अधकारियों ने उनसे बात की. सभी मजदूर ठीक थे. मजदूरों तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए खाना पहुंचाने में सफलता मिली.
20 नवंबर : इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट ऑर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी में टनल पर सर्वे किया और वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए. मजदूरों को खाना देने के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन डालने में सफलता मिली.
19 नवंबर : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को भरोसा दिलाया. शाम चार बजे सिल्क्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई.
18 नवंबर : दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा. खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की. PMO के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे। पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी.
17 नवंबर : सुबह दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी तो दवा दी गई. दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आने से ड्रिलिंग रोकना पड़ी. मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाला गया. नई ऑगर मशीन रात में इंदौर से देहरादून पहुंची, जिसे उत्तरकाशी के लिए भेजा गया. रात में टनल को दूसरी जगह से ऊपर से काटकर फंसे लोगों को निकालने के लिए सर्वे किया गया.
16 नवंबर : 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ. शाम 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ. रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप डाले गए. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की.
15 नवंबर : रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत कुछ देर ड्रिल करने के बाद ऑगर मशीन के कुछ पार्ट्स खराब हो गए. टनल के बाहर मजदूरों के परिजनों की पुलिस से झड़प हुई. वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे. PMO के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हैवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौड़ हेलीपैड पहुंचा. ये पार्ट्स विमान में ही फंस गए, जिन्हें तीन घंटे बाद निकाला जा सका.
14 नवंबर: टनल में मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई. ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक को काम में लगाया गया, लेकिन लगातार मलबा आने से 900 एमएम यानी करीब 35 इंच मोटे पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का प्लान बना. इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई, लेकिन ये मशीनें भी असफल हो गईं.
13 नवंबर : शाम में टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली गई. मलबा आने से 20 मीटर बाद ही काम रोकना पड़ा. मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया गया.
12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया. टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप से ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा. इसके बाद बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया. 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटाया गया.