अब समंदर के अंदर दुनिया देखेगी भारत का दम, दूसरी पनडुब्बी नौसेना में शामिल 

भारत चीन और पाक के खिलाफ समंदर में अपनी ताकत को बढ़ाने की तैयारी में है. भारत ने दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी को परमाणु मिसाइलों से लैस भारतीय नौसेना में शामिल करने की पूरी तैयारी कर ली है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत की दूसरी परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) एक या दो महीनों के भीतर चालू हो जाएगी.

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Edited By: JBT Desk

भारत की दूसरी परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है. बता दें कि, यह इसी साल चालू हो जाएगी जो अगले एक-दो महीनों में चालू हो जाएगी. बता दें कि, इस पन्नडूबी को लॉन्च होने के लगभग सात साल बाद औपचारिक रूप से शामिल होने जा रहा है. बता दें कि, एसबीसी में 'प्रोजेक्ट-77' के तहत छह ऐसी 6,000 टन की 'हंटर-किलर' पनडुब्बियों (जिन्हें एसएसएन कहा जाता है) के लिए था, लेकिन इसे घटाकर तीन कर दिया गया था बाद में एक और घटाकर अब यह संख्या दो हो गई है.

सूत्र ने कहा कि पहले दो एसएसएन बनाने में कम से कम एक दशक लगेगा, जो लगभग 95% स्वदेशी होंगे, जबकि अगले चार को बाद के चरण में मंजूरी दी जाएगी. एसएसएन महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि वे दुश्मन के लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए लंबे समय तक पानी में रहते हुए लंबी दूरी तक उच्च गति पर चुपके से काम कर सकते हैं.

चीन पाक से निपटने के लिए भारत पूरी तरह तैयार

भारत को चीन और पाकिस्तान से दोहरे खतरे से निपटने के लिए कम से कम 18 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों, चार एसएसबीएन और छह एसएसएन की जरूरत है, जो भूमि सीमाओं के बाद समुद्री क्षेत्र में भी सांठगांठ कर रहे हैं. हालांकि, देश के पास फिलहाल केवल एक एसएसबीएन आईएनएस अरिहंत है, जो अपने केंद्र में 83 मेगावाट के दबावयुक्त हल्के पानी वाले रिएक्टर और 16 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों द्वारा संचालित है. इसके अलावा, पारंपरिक पानी के नीचे के लड़ाकू बेड़े में छह पुरानी रूसी किलो-क्लास और चार जर्मन एचडीडब्ल्यू पनडुब्बियों के अलावा छह नई फ्रांसीसी मूल की स्कॉर्पीन शामिल हैं.

चीन के पास 60 पनडुब्बियां 

बता दें कि, चीन के पास पहले से ही 60 पनडुब्बियां हैं और वह तेजी से और पनडुब्बियां बना रहा है.  चीन के पास अभी छह जिन-क्लास एसएसबीएन शामिल हैं, जो जेएल-3 मिसाइलों से लैस हैं. चीन के इन मिसाइलों की मारक क्षमता 10,000 किमी है और छह एसएसएन हैं. ऐसे में भारत भी अपनी नौसैना की ताकत बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है. भारत के आईएनएस अरिघात कुछ हद तक परमाणु त्रिकोण के सबसे कमजोर हिस्से या जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियार दागने की क्षमता को मजबूत करेगा. आईएनएस अरिघात भी आईएनएस अरिहंत की तरह 750 किलोमीटर रेंज वाली के-15 मिसाइलों से लैस होगा, लेकिन वह इनकी बड़ी संख्या को ले जा सकता है. असली ताकत तब आएगी जब तीसरा एसएसबीएन, थोड़ा बड़ा 7,000 टन का आईएनएस अरिदमन, 3,500 किलोमीटर रेंज वाली के-4 मिसाइलों के साथ अगले साल चालू किया जाएगा. 

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11 August 2024, 07:53 AM IST

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