पानी की राजनीति या जनता का हित! दिल्ली-हरियाणा के बीच यमुना के पानी पर सियासी घमासान क्यों?

दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी की लड़ाई फिर से गर्मा गई है, लेकिन इस बार मामला सिर्फ पानी की कमी का नहीं, बल्कि उसमें बढ़े अमोनिया के खतरनाक स्तर का है! अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, तो हरियाणा के नेता पलटवार कर रहे हैं. चुनावी मौसम में इस विवाद ने सियासी रंग पकड़ लिया है. क्या ये सिर्फ वोटों के लिए खेल हो रहा है या फिर वाकई पानी की समस्या गंभीर है? जानिए पूरी कहानी और क्या है इस सियासी ड्रामा का सच!

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Edited By: Aprajita

Yamuna Water War: दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी का विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार चुनावी मौसम में यमुना का पानी ज़हर बनकर सुर्खियों में है. इस बार मुद्दा सिर्फ पानी की कमी का नहीं, बल्कि उसमें बढ़ रहे अमोनिया के खतरनाक स्तर का है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार यमुना का पानी जानबूझकर जहरीला बना रही है. वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने इन आरोपों को झूठा करार दिया और मानहानि का केस दर्ज करने की बात कही.

पानी की राजनीति और चुनावी दंगल

दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनावों का पारा चढ़ा हुआ है. आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सत्ता की होड़ में पानी का मुद्दा भी गरमाया हुआ है. केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यमुना में अमोनिया का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है. उन्होंने इसे ‘दिल्ली के लोगों पर एक बड़ा हमला’ बताया. दूसरी ओर, हरियाणा के नेताओं ने इसे राजनीति से प्रेरित बयानबाज़ी कहा.

दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी ने भी दावा किया कि यमुना के पानी में अमोनिया का स्तर 7 पीपीएम तक पहुंच गया है, जो कि बेहद खतरनाक है. सर्दियों में अमोनिया का स्तर अक्सर बढ़ जाता है, लेकिन इस बार यह सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा है.

क्या है दिल्ली-हरियाणा जल विवाद का इतिहास?

दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी का विवाद काफी पुराना है. 1993 में यमुना जल समझौता हुआ था, जिसके तहत दिल्ली को जरूरत के हिसाब से पानी दिया जाना था. इसके बाद 1994 में हुए एक नए समझौते में दिल्ली समेत 5 राज्यों—हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड—को यमुना के पानी का हिस्सा दिया गया. इसके बावजूद पानी की कमी और विवाद खत्म नहीं हुए. साल 2018 में केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी, लेकिन स्थाई समाधान अब तक नहीं हुआ. मुनक नहर, जिसे पानी विवाद खत्म करने के लिए बनाया गया था, भी पूरी समस्या हल करने में नाकाम रही.

अमोनिया का खतरनाक स्तर क्यों बना चिंता का कारण?

यमुना के पानी में अमोनिया का सुरक्षित स्तर 0.5 पीपीएम है, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड ने कहा है कि सर्दियों में यह स्तर 0.8 पीपीएम से भी ऊपर चला जाता है. फिलहाल यह स्तर 7 पीपीएम तक पहुंच गया है. इसके पीछे हरियाणा के उद्योगों का कचरा जिम्मेदार बताया जा रहा है. अमोनिया का उच्च स्तर पानी को पीने लायक नहीं छोड़ता और इसे साफ करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के पास कोई मजबूत सिस्टम नहीं है. इसका सीधा असर दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य और पानी की आपूर्ति पर पड़ रहा है.

क्या है समाधान?

दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी को लेकर जो राजनीति हो रही है, उससे आम जनता को राहत नहीं मिल रही. यमुना के संरक्षण और पानी की गुणवत्ता पर ध्यान देने की ज़रूरत है. अगर दोनों राज्यों की सरकारें राजनीति से ऊपर उठकर साथ काम करें, तो इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.

कब खत्म होगी पानी की सियासत?

यमुना के जहरीले पानी का मुद्दा केवल चुनावी बयानबाजी बनकर रह गया है. स्थाई समाधान के बजाय इसे राजनीति का हिस्सा बनाया जा रहा है. जब तक यमुना के पानी की गुणवत्ता और जल प्रबंधन पर गंभीरता से काम नहीं किया जाएगा, तब तक जनता को इन विवादों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

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28 January 2025, 05:19 PM IST

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