370 हटने का विरोध और पाक को मुबारकबाद भी दे सकते हैं, SC बोला- पुलिस को थोड़ा पढ़ाएं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत हर नागरिक को दूसरे देश के स्वतंत्रता दिवस पर उनको शुभकामनाएं देने का मौलिक अधिकार है . इसके लिए उनके खिलाफ कोई केस दर्ज नही किया जा सकता है.
महाराष्ट्र के कॉलेज के प्रोफेसर ने पाकिस्तान को उसके स्वंतत्रता दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए भारत में 370 को हटाने को लेकर अलोचना की. जिसको लेकर एफआईआर दर्ज कि गई थी. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया. बता दें प्रोफेसर ने पाकिस्तान को उसके स्वंतत्रता दिवस पर शुभकामनाएं दी थी और भारत में धारा 370 हटाने को लेकर बोला जिसका लेकर उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने मामला रद्द कर दिया.
जस्टिस एएस ओका और उज्जल भुइयां क्या कहा
जस्टिस एएस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, “भारत के हर नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर बोलने का अधिकार है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर कहा कि इस मामले को निरस्त किया जाता है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा "अगर भारत का कोई नागरिक 14 अगस्त, जो कि उनका स्वतंत्रता दिवस है, पर पाकिस्तान के नागरिकों को शुभकामनाएं देता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. यह सद्भावना का संकेत है. अपीलकर्ता के उद्देश्यों को केवल इसलिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह एक देश से है विशेष धर्म, “ न्यायालय ने कहा.
हर व्यक्ति का अधिकार
इसमें कहा गया, ''जिस दिन को निरस्त किया गया. इसके साथ ही कहा कि उस दिन को 'काला दिवस' के रूप में मनाया जाता है. हर राज्य के काम की हर आलोचना या विरोध को धारा 153-ए के तहत अपराध माना जाएगा, तो लोकतंत्र, जो भारत के संविधान की एक अनिवार्य विशेषता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए "धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर कई समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए काम करना" को दंडित करती है.
पुलिस को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "समय आ गया है कि हमारी पुलिस मशीनरी को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा और उनके स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति के बारे में जागरूक किया जाए. उन्हें संवेदनशील बनाया जाना चाहिए हमारे संविधान में लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में पता होना चाहिए.