'कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने मुझे धोखा दिया...' अमेरिका में PHD कर रही भारतीय छात्रा का आरोप
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रही भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय ने उन्हें धोखा दिया. अमेरिकी सरकार ने उन पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए उनका छात्र वीजा रद्द कर दिया. इसके बाद, रंजनी को अमेरिका से भागकर कनाडा जाना पड़ा.

भारतीय पीएचडी छात्रा रंजनी श्रीनिवासन का कहना है कि उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पांच साल तक दिन-रात मेहनत की, लेकिन अब उन्हें धोखा दिया गया. अमेरिका सरकार ने उनका छात्र वीजा अचानक रद्द कर दिया और उन पर हमास (Hamas) का समर्थन करने का आरोप लगा दिया. इस फैसले के बाद उन्हें अमेरिका छोड़कर कनाडा भागना पड़ा.
रंजनी का कहना है कि वे अब कोलंबिया यूनिवर्सिटी से न्याय की उम्मीद कर रही हैं और चाहती हैं कि संस्थान उन्हें फिर से दाखिला दे ताकि वे अपनी पीएचडी पूरी कर सकें. उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद थी कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेरा साथ देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुझे उम्मीद है कि वे अपनी गलती सुधारेंगे."
रंजनी श्रीनिवासन पर क्या हैं आरोप?
अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि रंजनी श्रीनिवासन हमास की समर्थक हैं. हमास को आतंकी संगठन करार दिया गया है और इसी आरोप के चलते ट्रंप प्रशासन के दौरान उनका वीज़ा रद्द कर दिया गया. रंजनी इस आरोप को गलत ठहराते हुए कहती हैं, "मैंने अपनी पीएचडी के लिए सभी आवश्यकताएं पूरी कर दी हैं. अब बस डिग्री मिलने की प्रक्रिया बची है, जिसके लिए मुझे अमेरिका में रहने की ज़रूरत भी नहीं है."
अमेरिका से भागकर पहुंचीं कनाडा
रंजनी ने खुलासा किया कि 5 मार्च 2025 को उन्हें अमेरिकी वाणिज्य दूतावास (US Consulate) से ईमेल मिला, जिसमें कहा गया कि उनकी वीजा अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दी गई है. इस खबर के कुछ ही घंटों बाद, अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स एजेंसी (ICE) के अधिकारी उनके दरवाजे पर पहुंच गए, संभवतः उन्हें गिरफ्तार कर देश से बाहर निकालने के लिए. लेकिन, रंजनी ने दरवाजा नहीं खोला.
अमेरिका से भागने की बनाई योजना
अगले दिन जब वे घर पर नहीं थी, तब अधिकारी फिर से वहां पहुंचे. इस दौरान कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक अन्य छात्र महमूद खलील को भी कैंपस से हिरासत में लिया गया, जिससे छात्रों में आक्रोश फैल गया. रंजनी ने गिरफ्तारी के डर से अपने जरूरी दस्तावेज और सामान पैक किया और अमेरिका से भागने की योजना बनाई. 11 मार्च को, उन्होंने अधिकारियों की नज़रों से बचते हुए न्यूयॉर्क के LaGuardia एयरपोर्ट से फ्लाइट पकड़ी और सीधे कनाडा पहुंच गई.
मुझे आतंक समर्थक कहना गलत
कनाडा में शरण लेने के बाद, रंजनी ने कहा, "आज अमेरिका में अगर कोई सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त भी करता है तो उसे 'आतंक समर्थक' घोषित कर दिया जाता है. यह स्थिति बेहद भयावह है. मैं नहीं जानती कि मुझे केवल मेरी राजनीतिक राय के कारण निशाना बनाया गया या फिर सच में मेरे खिलाफ कोई सबूत हैं." उन्होंने आगे कहा, "मुझे विश्वास है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी इस मामले में निष्पक्षता बरतेगी और मुझे वापस नामांकित करेगी."
अमेरिकी सरकार और कोलंबिया यूनिवर्सिटी की चुप्पी
अमेरिकी सरकार ने रंजनी श्रीनिवासन को "आतंक समर्थक" करार देकर उनकी वीज़ा रद्द कर दी, लेकिन अब तक कोई ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.
क्या रंजनी को न्याय मिलेगा?
रंजनी श्रीनिवासन अब कनाडा में हैं और अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और उम्मीद के बीच जी रही हैं. वे चाहती हैं कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी उन्हें पीएचडी पूरी करने का अवसर दे ताकि उनकी मेहनत बेकार न जाए. इस घटना ने एक बार फिर अमेरिका में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीति से जुड़े विवादों को उजागर कर दिया है.