'334 परमाणु बमों के बराबर निकली ऊर्जा', म्यांमार में आए 7.7 की तीव्रता के भूकंप पर भूवैज्ञानी ने किया दावा
फीनिक्स ने यह भी चेतावनी दी कि भूकंप के झटके महीनों तक जारी रह सकते हैं, क्योंकि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट म्यांमार के नीचे यूरेशियन प्लेट से टकराती रहती है. फीनिक्स ने आगे कहा कि म्यांमार में चल रहा गृह युद्ध और संचार व्यवस्था पर प्रतिबंध बाहरी दुनिया को आपदा की पूरी गंभीरता को समझने से रोक रहे हैं. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के कारण वहां की तबाही और भी बदतर हो जाएगी.

म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से 300 से अधिक परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा उत्पन्न हुई और क्षेत्र में भूकंप के बाद आने वाले झटकों की चेतावनी दी गई. भूविज्ञानी जेस फीनिक्स ने कहा कि ऐसे भूकंप से उत्पन्न बल लगभग 334 परमाणु बमों के बराबर होता है.
मरने वालों की संख्या 1600 के पार
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, मरने वालों की संख्या 1,600 से अधिक हो गई है, जबकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने अनुमान लगाया है कि पूर्व अनुमानों के आधार पर मृत्यु दर 10,000 से अधिक हो सकती है. फीनिक्स ने यह भी चेतावनी दी कि भूकंप के झटके महीनों तक जारी रह सकते हैं, क्योंकि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट म्यांमार के नीचे यूरेशियन प्लेट से टकराती रहती है.
फीनिक्स ने आगे कहा कि म्यांमार में चल रहा गृह युद्ध और संचार व्यवस्था पर प्रतिबंध बाहरी दुनिया को आपदा की पूरी गंभीरता को समझने से रोक रहे हैं. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के कारण वहां की तबाही और भी बदतर हो जाएगी. संघर्ष और संचार व्यवस्था ठप होने के कारण बाहरी दुनिया भूकंप के पूरे प्रभाव को समझ नहीं पा रही है.
भारत ने शुरू किया ऑपरेशन ब्रह्मा
उधर,म्यांमार में आए भूकंप के बाद भारत ने 'ऑपरेशन ब्रह्मा' शुरू किया है, जिसमें राहत और बचाव प्रयासों में सहायता के लिए दो नौसैनिक जहाज भेजे गए हैं और 118 सदस्यों वाला सेना का फील्ड अस्पताल तैनात किया गया है. सृष्टि के हिंदू देवता के नाम पर रखा गया यह ऑपरेशन पुनर्निर्माण प्रयासों में अपने पड़ोसी का समर्थन करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
राहत सामग्री लेकर नौसेना के जहाज रवाना
विदेश मंत्रालय के अनुसार, 40 टन मानवीय सहायता लेकर दो भारतीय नौसैनिक जहाज शनिवार को म्यांमार के लिए रवाना हुए. इन जहाजों, आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री के 31 मार्च तक यांगून पहुंचने की उम्मीद है. अंडमान और निकोबार कमांड के तहत तैनाती के लिए दो अतिरिक्त नौसैनिक जहाज भी तैयार किए जा रहे हैं. पहला जहाज़ 10 टन राहत सामग्री लेकर सुबह-सुबह रवाना हुआ, उसके बाद दूसरा जहाज़ दोपहर में रवाना हुआ. सहायता सामग्री में टेंट, कंबल, दवाइयाँ, तिरपाल, स्लीपिंग बैग, सोलर लैंप, खाने के पैकेट और रसोई के सामान शामिल हैं.