पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन को विश्व स्तर पर प्रमुखता से कवर किया गया. 92 वर्ष की उम्र में 26 दिसंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनकी मृत्यु ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शोक की लहर पैदा कर दी. विश्व मीडिया ने उनके कार्यकाल, उपलब्धियों और विवादों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने डॉ. सिंह को “मृदुभाषी और दिमागी नेता” बताया. उन्होंने भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने में उनके योगदान की सराहना की. अखबार ने लिखा कि डॉ. सिंह ने ऐसे आर्थिक बदलाव किए जिन्होंने भारत को चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाया.
अमेरिका की एसोसिएटेड प्रेस ने डॉ. सिंह के 1991 के आर्थिक सुधारों का जिक्र किया, जिसने भारत को संभावित आर्थिक संकट से बचाया. रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे इन सुधारों ने भारत को आर्थिक रूप से सशक्त किया.
वाशिंगटन पोस्ट ने डॉ. सिंह को भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का श्रेय दिया. खासतौर पर 2005 के भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों में गिना.
रॉयटर्स ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को "अनिच्छुक राजा" कहकर संबोधित किया. उसने लिखा कि वे एक टेक्नोक्रेट थे, जो भारत के सबसे सफल नेताओं में से एक बने. रिपोर्ट में भारत की तेज आर्थिक वृद्धि और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में उनके योगदान को सराहा गया.
अल जज़ीरा ने डॉ. सिंह को "सौम्य स्वभाव वाला टेक्नोक्रेट" कहा और उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी की प्रशंसा की. उसने उनके ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों और 2014 में उनके द्वारा दिए गए बयान को भी याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था, "मैं ईमानदारी से मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति अधिक दयालु होगा.
अमेरिकी विदेश विभाग ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया. उसने डॉ. सिंह को अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी का सबसे बड़ा समर्थक बताया. First Updated : Friday, 27 December 2024