'महिलाएं फूल जैसी हैं नाजुक', खामेनेई ने क्यों कही ऐसी बात?

ईरान के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई ने महिलाओं के बारे में बयान देते हुए कहा कि "महिलाएं फूल जैसी हैं, नाजुक और कोमल." उनका यह कथन समाज में महिलाओं की सम्मानजनक स्थिति और उनके संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करता है. ख़ामेनेई का यह बयान पारंपरिक दृष्टिकोण को व्यक्त करता है, जिसमें महिलाओं को उनकी कोमलता और नाजुकता के कारण विशेष ध्यान देने की बात की जाती है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने बुधवार को एक पोस्ट के जरिए कहा, "महिला एक नाजुक फूल है, वह घर की नौकरानी नहीं है." लेकिन यह पोस्ट उस समय सामने आया है जब उनके शासन में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं.

ईरान की कई महिलाएं अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं. इनमें 22 वर्षीय महसा अमिनी की घटना को कौन भूल सकता है, जो खामेनेई के शासन के खिलाफ हिजाब कानूनों का विरोध करते हुए सड़कों पर उतरीं थीं और पुलिस ने उनकी हत्या कर दी थी.

खामेनेई ने क्या कहा?

खामेनेई ने कहा, "महिला एक नाजुक फूल है, और वह एक घर की नौकरानी नहीं है. एक महिला को घर में फूल की तरह संभालकर रखना चाहिए. फूल को देखभाल की जरूरत होती है, और उसकी ताजगी और खुशबू को हवा में फैलाने के लिए उपयोग करना चाहिए."

आगे उन्होंने कहा, "महिलाओं और पुरुषों की पारिवारिक भूमिका अलग-अलग होती है. उदाहरण के लिए, पुरुष परिवार के खर्चों के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि महिलाएं संतानोत्पत्ति की जिम्मेदारी निभाती हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि एक दूसरे से श्रेष्ठता है. यह अलग-अलग गुण हैं, और पुरुषों और महिलाओं के अधिकार इन पर आधारित नहीं होते."

लेकिन असलियत कुछ और है...

खामेनेई की बातें उनके कृत्यों से बिल्कुल उलट हैं. सच्चाई यह है कि खामेनेई का शासन महिलाओं के अधिकारों पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है.

हिजाब कानून के बहाने महिला उत्पीड़न

1979 की ईरानी क्रांति के बाद, ईरान की नई सरकार ने इस्लामिक शरिया कानून को लागू किया, जिसने महिलाओं के अधिकारों को गंभीर रूप से सीमित कर दिया. हिजाब अनिवार्य कर दिया गया. यह महिलाओं के जीवन पर प्रतिबंधों की शुरुआत थी, जो दशकों तक जारी रही.

जब महिलाएं इन प्रतिबंधों के खिलाफ सड़कों पर उतरती हैं, तो उन्हें दंडित किया जाता है. महसा अमिनी की मौत के दो साल बाद, ईरानी अधिकारियों ने महिलाओं की आवाज़ों को दबाने के लिए अपनी कोशिशों को तेज कर दिया है. खामेनेई के आदेश पर, पुलिस ने 'नूर' नामक एक नया अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य हिजाब कानून को फिर से कड़ी से लागू करना है.

पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और अन्य राज्य संस्थाएं सड़कों पर महिलाओं को निशाना बना रही हैं. हिजाब कानूनों का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को अवैध गिरफ्तारी, बैंक खाते की जब्ती, कार की जप्तीकरण और यहां तक कि विश्वविद्यालय से निष्कासन जैसी कड़ी सजा मिल रही है.

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19 December 2024, 10:46 AM IST

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