Pakistan Taliban Conflict: पाकिस्तान, जिसने दशकों तक तालिबान का समर्थन किया था, अब उसी तालिबान के खिलाफ खड़ा है. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की 2011 की टिप्पणी "आप अपने पिछवाड़े में सांप नहीं पाल सकते और उम्मीद कर सकते हैं कि वे केवल आपके पड़ोसियों को ही काटेंगे" आज एक कड़वी सच्चाई बन चुकी है. लगभग 15,000 तालिबानी लड़ाके अब पाकिस्तानी सीमा की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में संघर्ष और अस्थिरता की आशंका गहराती जा रही है.

यह तनाव तब और बढ़ गया जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हवाई हमले किए, जिसमें कई नागरिकों की मौत हुई. इन हमलों के बाद अफगान तालिबान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और जवाबी कार्रवाई की कसम खाई है.

पुरानी दोस्ती में आई दरार

तालिबान की अफगानिस्तान में सत्ता में वापसी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने "आशीर्वाद" बताया था. लेकिन अब यह पुराना सहयोग पाकिस्तान के लिए गंभीर समस्या बन गया है. पाकिस्तान को दोतरफा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और दूसरी तरफ अफगान तालिबान. टीटीपी सीमा से जुड़े इलाकों में पाकिस्तानी सैनिकों पर हमले करता है, जबकि अफगान तालिबान ने हाल ही में पाकिस्तान पर आक्रामक रुख अपनाया है.

हवाई हमलों ने बढ़ाई तल्खी

यह विवाद तब बढ़ा जब पूर्वी अफगानिस्तान में पाकिस्तानी हवाई हमले हुए. पक्तिका प्रांत में हुए इन हमलों में एक प्रशिक्षण केंद्र को निशाना बनाया गया, जिसमें 46 लोगों की मौत हो गई. इनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे.

सीमा के पास 15,000 तालिबानी लड़ाके

तालिबान प्रवक्ता ने इन हमलों को "बर्बर" और "स्पष्ट आक्रमण" करार देते हुए बदला लेने की बात कही है. इसके जवाब में 15,000 तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान की सीमा के करीब जमा हो रहे हैं.

पाकिस्तान की दोहरी तालिबान समस्या

पाकिस्तान, जिसने तालिबान को दशकों तक समर्थन दिया था, अब खुद उनकी हिंसा का शिकार हो रहा है. अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद पाकिस्तान में आतंकी हमले बढ़े हैं. टीटीपी का मकसद पाकिस्तान में इस्लामी अमीरात स्थापित करना है. 2023 में, पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में 56% की वृद्धि हुई, जिसमें 1,500 से अधिक लोग मारे गए. इन घटनाओं ने पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव को और गहरा कर दिया है.

पाकिस्तान की रणनीति हुई उलटी साबित

तालिबान को पनपाने की पाकिस्तान की रणनीति अब उसी के लिए घातक बन गई है. दशकों तक पाकिस्तान ने तालिबान को समर्थन दिया, लेकिन अब वही तालिबान उसकी स्थिरता के लिए खतरा बन चुका है. हिलेरी क्लिंटन की टिप्पणी आज पाकिस्तान की स्थिति को सही मायने में परिभाषित करती है. जिसे पाकिस्तान ने अपनी रणनीतिक संपत्ति समझा था, वह अब उसकी स्थिरता और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है.