ना वीजा बढ़ा, ना पीआर मंजूर, 5 लाख प्रवासी लौटने को मजबूर? कनाडा में पंजाबी युवाओं का भविष्य अधर में!
कनाडा में लाखों पंजाबी युवा जो बेहतर भविष्य की तलाश में पहुंचे थे, अब वीजा और पीआर की समस्याओं से जूझ रहे हैं। वर्क परमिट की समाप्ति और कड़ी इमिग्रेशन नीतियों ने हालात और खराब कर दिए हैं। अब इन युवाओं के पास या तो अवैध रूप से रहने का विकल्प है, या फिर वापस भारत लौटने का। क्या ये सब कुछ छोड़कर अपने सपनों को छोड़ देंगे? पूरी कहानी जानने के लिए खबर पढ़ें!
Canada: कनाडा में रह रहे पंजाबी मूल के युवाओं के लिए यह समय बेहद कठिन साबित हो रहा है। नई जिंदगी और बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर वहां पहुंचे लाखों छात्रों को अब न सिर्फ वहां की सख्त इमिग्रेशन नीतियों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनके सामने वीजा और पीआर (स्थायी निवास) की मंजूरी को लेकर भी गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई हैं।
वैंकूवर के अध्ययन वीजा विशेषज्ञ मुनीश शर्मा का कहना है कि 2025 तक 50 लाख वर्क परमिट समाप्त हो जाएंगे। इनमें से 7 लाख परमिट विदेशी छात्रों के हैं, जिनमें अधिकतर पंजाबी युवा हैं। ट्रूडो सरकार की नीतियां इन छात्रों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रही हैं।
वीजा बैकलॉग और कड़े नियम बढ़ा रहे हैं परेशानी
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, लगभग 500,000 पंजाबी युवा कनाडा में निर्वासन के खतरे का सामना कर रहे हैं। 4 नवंबर को जारी डेटा के मुताबिक, 30 सितंबर 2024 तक 10,97,000 वीजा और पीआर आवेदन बैकलॉग में थे, जिनमें से करीब 40% पंजाबी मूल के हैं।समस्या यह है कि एक तरफ वर्क वीजा समाप्त होने वाला है, वहीं दूसरी तरफ पीआर की फाइलें मंजूर नहीं हो रही हैं। ट्रूडो सरकार ने अध्ययन परमिट और स्थायी निवास नामांकन की संख्या को सीमित कर दिया है। इसके अलावा, एलएमआईए (लेबर मार्केट इम्पैक्ट असेसमेंट) जैसे कई नियमों में बदलाव ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मुश्किल में डाल दिया है।
छात्रों के पास सीमित विकल्प
इन चुनौतियों के बीच पंजाबी युवाओं के पास दो ही रास्ते बचते हैं। या तो वे कनाडा में अवैध रूप से छिपकर रहें या फिर वापस भारत लौट आएं। कुछ युवाओं ने तो अमेरिका का रुख करना शुरू कर दिया है। पिछले एक साल में 46,000 से अधिक युवा कनाडा से अमेरिका की सीमा पार करते हुए पकड़े गए हैं।
विरोध प्रदर्शन और बढ़ती नाराजगी
कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड, ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया जैसे कई प्रांतों में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन ट्रूडो सरकार हर दिन नियमों को और सख्त बना रही है।
आने वाले दिनों में चुनौतियां और बढ़ेंगी
आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) के अनुसार, 2024 में केवल 360,000 वर्क परमिट जारी होने की उम्मीद है, जो 2023 की तुलना में 35% कम है। ऐसे में पंजाबी मूल के युवाओं के लिए स्थिति और गंभीर होती जा रही है।
कनाडा आने का सपना बना मुश्किल सफर
यह स्थिति उन छात्रों के लिए बेहद निराशाजनक है, जिन्होंने बेहतर जिंदगी की उम्मीद में कनाडा का रुख किया था। लेकिन अब उनके सामने या तो देश छोड़ने का विकल्प है या फिर अस्थायी समाधान की तलाश में भटकने का। कनाडा में रह रहे इन युवाओं के संघर्ष ने न केवल उनकी जिंदगी मुश्किल बना दी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या वहां का सपना वास्तव में इतना कठिन हो गया है कि इसे पूरा करना असंभव सा लगने लगा है?