9/11: अमेरिका की जिंदगी बदलने वाली सुबह और राष्ट्रपति की ऐतिहासिक मुलाकात

9 /11 की सुबह, मैनहट्टन में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सालगिरह के अवसर पर हाथ मिलाया. यह मुलाकात इतिहास के उस काले दिन की याद ताजा कर देती है जब चार विमानों ने अमेरिका पर हमला किया था. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन को निशाना बनाया और 2,977 निर्दोष लोगों की जान ले ली. अल-कायदा द्वारा अंजाम दिए गए इस हमले ने दुनिया को बदल कर रख दिया. जानिए इस काले दिन की पूरी कहानी और इसके दूरगामी प्रभाव.

JBT Desk
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9/11 Terror: बुधवार सुबह मैनहट्टन में 9/11 की सालगिरह के मौके पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर हाथ मिलाया. यह मुलाकात तब हुई जब हैरिस, न्यूयॉर्क के सीनेटर चक शूमर और राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच खड़ी थीं और ट्रम्प, न्यूयॉर्क शहर के पूर्व मेयर माइकल ब्लूमबर्ग के बगल में खड़े थे.

हैरिस और ट्रम्प के बीच यह बधाई केवल 12 घंटे पहले फिलाडेल्फिया में एबीसी न्यूज द्वारा आयोजित राष्ट्रपति पद की बहस में हुई पहली मुलाकात के बाद हुई. मंगलवार रात की बहस में यह दोनों नेताओं के बीच आठ साल के लंबे समय बाद हाथ मिलाने का मौका था. बुधवार को, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति 9/11 की सालगिरह के विशेष समारोहों में शामिल हुए. वे ग्राउंड जीरो, शैंक्सविले, पेनसिल्वेनिया और पेंटागन में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिए. ट्रम्प ग्राउंड जीरो में समारोह के बाद शैंक्सविले भी पहुंचे.

बिडेन का बयान

राष्ट्रपति जो बिडेन ने एक बयान में कहा, '23 साल पहले, आतंकवादियों को लगा कि वे हमारी इच्छाशक्ति को तोड़ सकते हैं और हमें घुटनों पर ला सकते हैं, वे गलत थे. सबसे अंधेरे घंटों में, हमने रोशनी पाई और डर का सामना करते हुए हम एक साथ आए—अपने देश की रक्षा करने और एक-दूसरे की मदद करने के लिए. आज हमारा सबसे लंबा युद्ध समाप्त हो गया है लेकिन हमारे लोगों की सुरक्षा की हमारी प्रतिबद्धता कभी समाप्त नहीं होगी.'

11 सितंबर, 2001: एक काले दिन की कहानी

11 सितंबर, 2001 को एक बहुत ही भयानक दिन था, जिसे दुनिया कभी नहीं भूल सकती. उस दिन अमेरिका ने अपने इतिहास का सबसे दर्दनाक हमला देखा. इस दिन की कहानी को समझना बहुत ज़रूरी है ताकि हम जान सकें कि यह हमला किस तरह की तबाही लेकर आया और इसके बाद दुनिया कैसे बदल गई. दरअसल 11 सितंबर, 2001 की सुबह, चार यात्री विमानों को चरमपंथियों ने हाइजैक किया. इन विमानों में कुल 246 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे. इन विमानों का उद्देश्य न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन डीसी में प्रमुख इमारतों पर हमला करना था.

दो विमानों की टकराहट और इमारतों का ढहना

सुबह के आठ बजकर 46 मिनट पर पहला विमान, जो कि अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 11 था, न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टॉवर से टकराया. तीन मिनट बाद दूसरा विमान, यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175, दक्षिणी टॉवर से टकराया. दोनों इमारतों में आग लग गई और शहर धुएं से भर गया. सिर्फ दो घंटे में, दोनों टॉवर पूरी तरह से ढह गए. इस हादसे में 2,606 लोग मारे गए.

पेंटागन पर हमले और चौथे विमान का हादसा

नौ बजकर 37 मिनट पर तीसरा विमान, अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 77, वॉशिंगटन डीसी के पेंटागन से टकराया, जिसमें 125 लोगों की मौत हुई. चौथे विमान यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 93, पेन्सेल्विनिया के खेतों में गिर गया और ऐसा माना जाता है कि इस विमान ने वॉशिंगटन डीसी की कैपिटल बिल्डिंग पर हमला करने का प्रयास किया था लेकिन इसके यात्रियों ने आतंकवादियों को रोकने का साहसिक प्रयास किया.

इस हमले में कुल 2,977 निर्दोष लोगों की मौत हुई, जिनमें 77 देशों के नागरिक शामिल थे. न्यूयॉर्क शहर में मलबे की चपेट में आने से भी 441 लोग मारे गए. हमले में कई लोग घायल हुए और गंभीर रूप से बीमार हो गए. इसमें दमकलकर्मी और आपातकालीन सेवाओं के कर्मी भी शामिल थे.

हमलावर कौन थे?

इस्लामी चरमपंथी समूह अल-क़ायदा ने इस हमले को अंजाम दिया. अल-कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका को मुस्लिम देशों में संघर्ष के लिए जिम्मेदार ठहराया था. 19 चरमपंथियों की टीम ने यह हमला किया था, जिनमें से अधिकांश सऊदी अरब के थे.

अमेरिकी प्रतिक्रिया और अल-कायदा पर कार्रवाई

हमले के बाद, अमेरिका ने अल-कायदा और ओसामा बिन लादेन को समाप्त करने के लिए अफगानिस्तान पर हमला किया. 2011 में, अमेरिकी सैनिकों ने पाकिस्तान में बिन लादेन को मार डाला. बता दें कि अल-कायदा अभी भी सक्रिय है, लेकिन उसकी ताकत कम हुई है.

11 सितंबर के हमलों के बाद हुए बदलाव

11 सितंबर के हमलों ने दुनिया को बदलकर रख दिया. विमान सुरक्षा को मजबूत किया गया और अमेरिका में एयरपोर्ट सुरक्षा की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्टेशन सिक्यॉरिटी एडमिनिस्ट्रेशन को सौंप दी गई. न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का मलबा हटाने में आठ महीने लगे और वहां अब एक मेमोरियल और म्यूज़ियम है. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की जगह अब फ्रीडम टॉवर खड़ा है, जो 1776 फीट ऊंचा है और पेंटागन को जल्दी से फिर से बना दिया गया.

यह हमला आज भी हमारे सामूहिक स्मृति में एक काले दिन के रूप में दर्ज है और इसके बाद की दुनिया की तस्वीर पूरी तरह बदल गई.

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11 September 2024, 09:08 PM IST

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