Explainer: अमेरिका में आज का दिन बेहद यादगार है यह दिन कोई नहीं भूला पाया है. अतंरिक्ष यात्रा के इतिहास की सबसे भयानक त्रासदियों में से एक 27 जनवरी, 1967 को घटी जब चांद पर जाने वाले यान Apolo 1 के टेस्ट फ्लाइट में आग लगने से पूरा क्रू मारा गया. गस ग्रिसोम, एड व्हाइट और रोजर शैफ़ी उस क्रू का हिस्सा थे, जो अमेरिका के केप कैनावेरल में प्रीफ्लाइट टेस्ट के दौरान अपोलो कमांड मॉड्यूल में मौजूद थे, वे पहले ह्मूमन मिशन के लिए अपोलो फ्लाइट की ट्रेनिंग ले रहे थे.
शुक्रवार 27 जनवरी 1967 को अंतरिक्ष यात्रियों ने ट्रेनिंग शुरू करने के लिए पैड 34 कैप्सूल में प्रवेश किया. कई छोटी-छोटी समस्याएं सामने आईं, जिससे परीक्षण में काफी देरी हुई और अंत में कम्यूनिकेशन में गड़बड़ी के चलते शाम 5.40 बजे ट्रेनिंग रोक दी गई शाम 6.30 बजे, क्रू मेंबर ग्रिसोम ने कहा, यदि हम 3 इमारतों के बीच नहीं कर सकते हैं तो हम चंद्रमा पर कैसे जा सकते हैं.
शाम 6.31 बजे, AC बस में 2 वोल्टेज रीडिंग दर्ज की गई थी, जो संभवत शार्ट-सर्किट का संकेत दे रही थी, तुरंत ही कॉकपिट से चीख सुनाई दी, हमारे कॉकपिट में आग लगी है, वीडियो फीड पर देखने वालों ने देखा कि क्रू का कोई सदस्य व्हाइट हैच के हैंडल तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है, NASA की रिपोर्ट के अनुसार, एक तेज धमाके से कमांड मॉड्यूल टूट गया और आग की लपटें और गैस फैल गई. धमाके की आवाज़ से कई कर्मियों को विश्वास हो गया कि कमांड मॉड्यूल में विस्फोट हो गया है.
केबिन में ऑक्सीजन की वजह से सारा सामान तहस नहस हो गया था, तार के पास मौजूद ज्वलनशील सामग्री में तुरंत आग लग गई थी. जिससे अंतरिक्षयान में धुएं से भरने में महज दस सेकेंड का वक्त लगा, जांच में ये भी पता चला कि सभी अतंरिक्षयात्रियों की ऑक्सीजन नली अलग हो गई थी, जिसके चलते वहां फैली जहरीली हवा ने उनके शरीर में प्रवेश कर लिया इसी वजह से एक मिनट से भी कम वक्त में सबकी मौत हो गई. आधिकारिक तौर पर उनकी मौत का कारण धुएं में सांस लेने में आई रुकावट को बताया गया था. First Updated : Saturday, 27 January 2024