म्यांमार में 2 महाझटकों के बाद 4 बार फिर कांपी धरती, जलजले ने तबाह कर दी लाखों लोगों की जिंदगी
भूकंप तब होता है जब धरती की भूगर्भीय प्लेटें हिलती या टकराती हैं. इन प्लेटों का धीरे-धीरे हिलना सामान्य है, लेकिन जब इनमें दबाव बढ़ता है और यह अचानक मुक्त हो जाता है, तो भूकंप आता है. इसका असर इस बात पर निर्भर करता है कि भूकंप कितना तेज था और इसका केंद्र कितना गहरा था. हल्के भूकंप से कोई खास नुकसान नहीं होता, लेकिन यदि भूकंप बहुत तेज हो, तो यह इमारतों को गिरा सकता है और भारी नुकसान कर सकता है.

Myanmar earthquake: म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को एक भयावह भूकंप आया, जिसने लोगों में दहशत फैला दी. इस भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई और इसके 12 मिनट बाद एक और 6.4 तीव्रता का झटका महसूस किया गया. वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप का सिलसिला यहीं नहीं रुका और इसके बाद कई छोटे झटके भी महसूस किए गए. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में और भी तेज आफ्टरशॉक्स आ सकते हैं, जिससे राहत और बचाव कार्यों में कठिनाइयां बढ़ सकती हैं.
म्यांमार में मंडाले शहर के पास आने वाला भूकंप सागाइंग फॉल्ट क्षेत्र के कारण हुआ माना जा रहा है. यह फॉल्ट म्यांमार के मध्य में 1,200 किलोमीटर तक फैला हुआ है, और यहाँ भारतीय और सुंडा प्लेटों के टकराने से भूकंप आते रहते हैं. इस क्षेत्र में लंबे समय से दबाव जमा हो रहा था, जिससे भारी ऊर्जा का भंडार बन गया था, जो अब भूकंप के रूप में बाहर निकला. यूएसजीएस के मुताबिक, पहला भूकंप बहुत ही सतही था, जिसका केंद्र जमीन से केवल 10 किलोमीटर की गहराई पर था, जिससे इसका प्रभाव काफी विनाशकारी रहा.
आफ्टरशॉक्स आने का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि इस भूकंप के बाद और बड़े आफ्टरशॉक्स आ सकते हैं, जिससे इमारतों की संरचना कमजोर हो सकती है और और भी अधिक नुकसान हो सकता है. ब्रिटिश भूगर्भीय सर्वेक्षण के डॉ. रोजर मुसन ने बताया कि 1956 में इस स्तर का एक और भूकंप आया था, और उस समय से अधिकांश इमारतें भूकंप-रोधी नहीं बनाई गई थीं, जिससे इस बार नुकसान और बढ़ गया.
आने वाले दिनों में और भी तेज भूकंप की संभावना
आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में और भी भूकंप आने की संभावना जताई जा रही है, और इससे लोगों के लिए राहत कार्य और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं.