बांग्लादेश के बाद इस मुस्लिम देश में होगा तख्ता पलट, साफ दिखाई दे रहे सेना के तेवर
Coup in Iran: इजरायल ने ईरान के अंदर घुसकर जब से हमास के मुखिया इस्माइल हनिया की हत्या की है. ईरान बदला लेने के लिए बेचैन है. जामकरन मस्जिद पर लाल झंडा लगाकर ईरान ने यह साफ कर दिया है कि उसका मकसद इजरायल से बदला लेना है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने भी कह दिया है कि ईरान बदला लेगा, लेकिन सवाल है कि कब?
Coup in Iran: ईरान के अंदर घुसकर इजरायल ने हमास के मुखिया इस्माइल हनिया की हत्या कर दी. जिसके बाद से ही वहां का माहौल काफी गर्म है. इरान एस मौत का बदला लेना चाहता है. जिसके चलते वहां की राजनीतिक स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई है. नए राष्ट्रपति और ईरानी सेना के बीच मतभेद और संघर्ष की खबरें आ रही हैं, जो चिंता का विषय बन गई हैं. लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि क्या ईरान में बांग्लादेश की तरह तख्तापलट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
ईरान में नई सरकार बनने के बाद से राष्ट्रपति और सेना के बीच संबंध बिगड़ गए हैं. यह विवाद कई मुद्दों पर आधारित है, जिसमें सैन्य संचालन, राजनीति और प्रशासनिक निर्णय शामिल हैं. सेना और राष्ट्रपति के बीच मतभेद का प्रभाव देश की आंतरिक स्थिति पर पड़ सकता है. तख्तापलट एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें सत्ता में बैठे लोग अचानक सत्ता से हटा दिए जाते हैं और नए लोग सत्ता पर काबिज हो जाते हैं. यह आमतौर पर हिंसा या सैन्य हस्तक्षेप के जरिए होता है. बांग्लादेश में 1975 में ऐसा ही तख्तापलट हुआ था, जब सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था.
ईरान में संभावित तख्तापलट?
ईरान में सेना और राष्ट्रपति के बीच संघर्ष बढ़ रहा है, लेकिन यह कहना अभी जल्दी होगा कि क्या इस स्थिति का अंत तख्तापलट में होगा. वर्तमान में स्थिति बहुत ही जटिल है और इसमें कई राजनीतिक, सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय तत्व शामिल हैं. साथ ही इजारायल से बदला भी सेना और राष्ट्रपति के बीत तनाव का एक मुद्दा है.
क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
ईरान की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि सभी पक्ष मिलकर बातचीत करें और समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालें. आंतरिक संघर्ष को कम करने और देश की स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी को सहयोग की जरूरत है. सेना तो इजरायल से बदला लेना चाहता है लेकिन इसके लिए उसे वहां के राष्ट्रपति मसूद पजशेकियान के इजाजत की जरूरत होगी. लेकिन वह इजरायल से सीधी लड़ाई नहीं चाहते हैं. ऐसे में अगर अगर ईरान को इजरायल पर सीधे हमला करना होगा तो सबसे पहले तो ईरानी सेना को अपने राष्ट्रपति का तख्तापलट करना होगा.
ईरान सेना और राष्ट्रपति के बीच संघर्ष
ईरान में सेना और नए राष्ट्रपति के बीच चल रहे संघर्ष से देश की स्थिरता पर असर पड़ सकता है. हालांकि बांग्लादेश की तरह तख्तापलट की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि स्थिति कैसे विकसित होती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान के लोग और नेता मिलकर एक शांतिपूर्ण समाधान खोजें और देश की सुरक्षा और स्थिरता को प्राथमिकता दें.