अलकायदा के आतंकवादियों ने बुर्किना फासो में 600 लोगों को उतारा मौत के घाट, फ्रांस की रिपोर्ट में दावा
World News: अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों ने बुर्किना फासो में 600 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. इस जानकारी का खुलासा फ्रांस की प्रमुख खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में किया गया है. यह घटना 24 अगस्त को हुई, जब आतंकवादियों ने बार्सालोघो शहर पर हमला किया. इस हमले में अधिकांश पीड़ित महिलाएं और बच्चे थे, और यह पश्चिम अफ्रीका के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक माना जा रहा है.
World News: अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों ने बुर्किना फासो में एक ही दिन में लगभग 600 लोगों की हत्या कर दी है, जैसा कि फ्रांस की प्रमुख खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में बताया गया है. यह घटना 24 अगस्त को हुई, जब आतंकवादियों ने बार्सालोघो शहर पर हमला किया. इस हमले में अधिकांश पीड़ित महिलाएं और बच्चे थे, और यह पश्चिम अफ्रीका के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक माना जा रहा है. यह हमला अलकायदा और इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े विद्रोहियों के आतंकवादी अभियान का हिस्सा है, जो 2015 में पड़ोसी माली से फैलना शुरू हुआ था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, माली में अलकायदा से जुड़े जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन (जेएनआईएम) के सदस्यों ने बार्सालोघो के बाहरी इलाके में बाइक पर ग्रामीणों पर गोलीबारी की. संयुक्त राष्ट्र ने लगभग 200 लोगों की मौत का अनुमान लगाया, जबकि आतंकवादी समूह ने अपने बयान में 300 'लड़ाकों' को मारने का दावा किया. हालांकि, फ्रांसीसी सरकार के सुरक्षा आकलन के अनुसार, सीएनएन ने बताया कि इस हमले में लगभग 600 लोग मारे गए.
घटना के बारे में क्या बोले प्रत्यक्षदर्शी?
इस बीच प्रत्यक्षदर्शियों ने उस डराने वाले सीन के बारे में बताया कि जब आतंकवादी मोटरसाइकिलों पर सवार होकर बार्सालोघो के बाहरी इलाके में घुस आए और अपने शहर की रक्षा के लिए खाई खोद रहे ग्रामीणों को गोली मार दी. हमले के वीडियो में कुछ ग्रामीण ज़मीन पर लेटे हुए दिखाई दे रहे थे और हमलावरों द्वारा की जा रही गोलीबारी के दौरान मृत होने का नाटक कर रहे थे.
दरअसल, माली, बुर्किना फासो और नाइजर में तख्तापलट की श्रृंखला के कारण फ्रांसीसी और अमेरिकी सेनाओं को वहां से हटना पड़ा, जिससे सत्ता का शून्य पैदा हो गया और जिहादी समूहों को फलने-फूलने का मौका मिल गया.
बुर्किना फासो में क्या हो रहा है?
बुर्किना फासो में जिहादी विद्रोह 2015 से शुरू हुआ, जो माली में बढ़ते संघर्ष से प्रेरित था. इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 2 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो गए. जनवरी और सितंबर 2022 में बुर्किना फासो में एक के बाद एक हुए तख्तापलट सशस्त्र समूहों द्वारा किए गए खूनी हमलों के कारण हुए.
'2015 से बुर्किना फासो में 20,000 से अधिक हत्याएं हुईं'
वैश्विक संघर्षों पर नजर रखने वाले ACLED विश्लेषण समूह के अनुसार, अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े जिहादी लड़ाकों ने 2015 से बुर्किना फासो में 20,000 से अधिक हत्याएं की हैं, जिनमें इस वर्ष अकेले 3,800 लोग शामिल हैं. बुर्किना फासो की सरकार इस संकट का सामना करने में कठिनाई महसूस कर रही है, और सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
'हमले में बचे लोगों ने साझा किया अपना दर्द'
इस दौरान हमले में बचे लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि उन्हें भारी आघात और डर का सामना करना पड़ा. एक जीवित व्यक्ति, जिसने नाम बताने से मना किया, उसने कहा, 'हम अब सामान्य नहीं रह गए हैं. यह समस्या हमारी समझ से परे है. मैंने नरसंहार होते देखा, जब पहली गोलियां चलीं.'
एक अन्य व्यक्ति ने अपने दो परिवार के सदस्यों को खोने के बाद शवों को दफनाने में आने वाली मुश्किलों के बारे में बताया. उसने कहा, 'वे लगातार लोगों को मारते रहे. तीन दिनों तक हम शव इकट्ठा करते रहे, जो हर जगह बिखरे पड़े थे. हमारे दिलों में डर बैठ गया. दफनाने के समय, इतनी लाशें होती हैं कि उन्हें उचित तरीके से दफनाना मुश्किल हो जाता है.
इस हमले ने बुर्किना फासो के जुंटा नेता कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे के खिलाफ नाराजगी को जन्म दिया है, जिन्होंने नागरिकों द्वारा खाइयां बनाने का समर्थन किया था. फ्रांसीसी रिपोर्ट में सरकार की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा गया है कि अब उसके पास कोई ठोस सैन्य रणनीति नहीं है और उसका प्रचार संदेश कमजोर और अधूरा लगता है.'