ग्लोबल वॉर्मिंग के गुनहगार अमेरिका-चीन, टैरिफ के साथ गंदगी में भी अव्वल
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. एक नई रिसर्च के अनुसार, 2022 में दुनियाभर में प्लास्टिक उत्पादन और कचरे में अमेरिका और चीन सबसे बड़े योगदानकर्ता रहे. चीन ने 32% और अमेरिका ने 42% प्लास्टिक कचरा पैदा किया. वहीं भारत की हिस्सेदारी केवल 3.54% रही, जिससे यह साफ होता है कि भारत इस मामले में ज्यादा जिम्मेदार देश है.

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर चल रहा झगड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा. अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर अब 145% टैक्स (टैरिफ) लगा दिया है. इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.
लेकिन ये दोनों देश सिर्फ टैरिफ में ही नहीं, बल्कि दुनिया में गंदगी फैलाने यानी प्लास्टिक कचरा पैदा करने में भी सबसे आगे हैं. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में दुनियाभर में लगभग 268 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा हुआ, जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 3.5% रही.
अमेरिका-चीन का प्लास्टिक कचरे में बड़ा रोल
रिसर्च के अनुसार 2022 में करीब 400 मिलियन टन प्लास्टिक बनाया गया. इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 42% और चीन की 32% रही. चीन सबसे बड़ा प्लास्टिक इस्तेमाल करने वाला देश रहा, जिसने दुनिया की 20% प्लास्टिक आपूर्ति का उपयोग किया. अमेरिका ने 18%, यूरोपीय संघ ने 16%, भारत ने 6% और जापान ने 4% प्लास्टिक का उपयोग किया.
प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा प्लास्टिक का इस्तेमाल
अमेरिका: 216 किलो प्रति व्यक्ति
जापान: 129 किलो
यूरोपीय संघ: 87 किलो
प्लास्टिक कचरे की मात्रा (2022)
चीन: 81.5 मिलियन टन
अमेरिका: 40.1 मिलियन टन
यूरोपीय संघ: 30 मिलियन टन
भारत: 9.5 मिलियन टन
कितना रिसाइक्लिंग हुआ?
यूरोपीय संघ: 20% प्लास्टिक रिसाइकिल
अमेरिका: सिर्फ 5%
भारत: कम प्लास्टिक इस्तेमाल, लेकिन रिसाइक्लिंग दर पर आंकड़ा स्पष्ट नहीं
लैंडफिल और जलाने का हाल
2022 में दुनिया का 40% प्लास्टिक कचरा सीधे ज़मीन में दबा दिया गया (लैंडफिल), 34% को जला दिया गया और सिर्फ 9% ही रिसाइकिल किया गया.


