अमेरिकी कमांडर की इजराइल यात्रा, ईरान पर हमला करने की तैयारी
ईरान के सशस्त्र बलों ने मध्य इस्फ़हान प्रांत में नतांज़ यूरेनियम संवर्धन सुविधा के निकट बड़े पैमाने पर संयुक्त वायु रक्षा अभ्यास शुरू किया, जिससे संभावित अमेरिकी हमले का संकेत मिला.
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से कुछ दिन पहले एक अहम घटना घटी, जब यूएस सेंट्रल कमांड के डिप्टी कमांडर वाइस एडमिरल ब्रैड कूपर ने इजराइल का दौरा किया और इजराइली सेना के मेजर जनरल आमिर बारम से मुलाकात की. रिपोर्टों के अनुसार, यह मुलाकात ईरान के परमाणु स्थलों पर संभावित हमले की तैयारियों के बारे में थी.
इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण इस बैठक के दौरान यह चर्चा की गई थी कि ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करने की योजना पर विचार किया जा रहा था. इजराइली समाचार स्रोत Ynet की रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करने से इंकार नहीं किया था. इसके साथ ही, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ट्रंप अपने राष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों बाद ही ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला कर सकते हैं.
ईरानी परमाणु स्थलों पर हमले का इरादा
ईरान ने अपनी परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा के लिए हवाई रक्षा अभ्यास शुरू किया है. इस अभ्यास का उद्देश्य नतांज़ में यूरेनियम संवर्धन सुविधा की सुरक्षा करना था. ईरानी सेना ने इस अभ्यास को मध्य इस्फ़हान प्रांत में आयोजित किया, जिसमें परमाणु स्थलों की सुरक्षा के लिए हवाई रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की तैयारियों का परीक्षण किया गया.
ईरान के खिलाफ ट्रंप का रुख कड़ा
ईरानी अधिकारियों ने कहा कि इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सैन्य तैयारियों को बनाए रखना और संभावित हमलों से निपटना है. यह अभ्यास उस समय हुआ जब अमेरिकी समाचार वेबसाइट एक्सियोस ने रिपोर्ट किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को ईरान की परमाणु सुविधाओं पर संभावित हमले के बारे में एक प्रस्ताव दिया गया था. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर ईरान 2025 से पहले परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ता है, तो अमेरिका इसे रोकने के लिए सैन्य कार्रवाई कर सकता है.
ईरान के परमाणु हथियारों पर दबाव
ईरान ने कहा कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए बातचीत करने को तैयार है, लेकिन यह बातचीत "सम्मान और गरिमा" के आधार पर होगी. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात का संकेत दिया कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं.