Bangladesh: बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच एक और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जोशोर जिले में एक अवामी लीग नेता के एक होटल में भीड़ ने आग लगा दी, जिसमें एक इंडोनेशियाई नागरिक सहित कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई. प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ जाने के बाद सोमवार देर रात हिंसा भड़क उठी. स्थानीय लोगों और अस्पताल के अधिकारियों ने मंगलवार को मृतकों की संख्या की पुष्टि की, जिससे अशांति की गंभीरता को साफ दर्शाने का काम किया हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला आवामी लीग के जिला महासचिव शाहीन चक्कलादर के ज़बीर इंटरनेशनल होटल को निशाना बनाकर किया गया था.
घटस्थानल पर मौजूद लोगों ने बताया कि आवामी लीग शासन का विरोध करने वाली भीड़ ने होटल के भूतल पर आग लगा दी, जिसकी लपटें तेजी से ऊपरी मंजिलों को अपनी चपेट में ले रही थीं. ज़्यादातर पीड़ित होटल के मेहमान थे जो तेज़ी से फैलती आग से बच नहीं पाए. इस बीच ढाका के एक पत्रकार ने बताया, 'मृतकों में एक इंडोनेशियाई नागरिक भी शामिल है. जोशोर जनरल अस्पताल के डॉक्टरों ने 24 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जबकि आशंका है कि मलबे में और भी शव हो सकते हैं.
होटल पर आगजनी की यह घटना हसीना के इस्तीफे के बाद पूरे देश में फैली हिंसा की एक बड़ी लहर का हिस्सा है. गुस्साई भीड़ ने देश भर में अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की. ये अशांति राजधानी तक फैल गई, जहां बंगबंधु एवेन्यू पर पार्टी के केंद्रीय कार्यालय पर हमला किया गया.
शेख हसीना के अचानक इस्तीफे ने बांग्लादेश को अराजकता की स्थिति में पहुंचा दिया है। उनके अप्रत्याशित रूप से भारत चले जाने से सत्ता का शून्य पैदा हो गया, जिसे सेना ने तुरंत भर दिया. जैसे ही हसीना के इस्तीफे की खबर फैली, ढाका और अन्य क्षेत्रों में हिंसा बढ़ गई, भीड़ ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और लूटपाट के लिए पूर्व प्रधानमंत्री के आवास में घुस गई. हिंसा की यह वृद्धि बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक खास पल का संकेत है, जो दक्षिण एशियाई राष्ट्र की स्थिरता और भविष्य के शासन के बारे में चिंताएं पैदा करती है.
बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर हिंसा भड़की हुई है. बता दें, कि इसी साल जून में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 'वॉर हीरोज' के परिजनों को 30% कोटा देने का फैसला सुनाया था. इसके बाद छात्र भड़क गए और सड़कों पर उतर आए. छात्रों का हिंसक आंदोलन देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला वापस ले लिया. लेकिन तब तक आंदोलन सत्ता के खिलाफ हो गया था और PM शेख हसीना से इस्तीफे की मांग उठने लगी.
First Updated : Tuesday, 06 August 2024