Bangladesh News: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की वापसी की मांग की है. उन्होंने उनके उनके प्रत्यर्पण की जिम्मेदारी भारत पर डाल दी है. शेख हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है, जिससे उनके भारत में रहने की स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं. बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा है कि अंतरिम सरकार शेख हसीना को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि भारत को यह तय करना होगा कि हसीना को प्रत्यर्पित करना है या नहीं.
विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर हमारी कानूनी व्यवस्था इसे आवश्यक समझेगी तो हम शेख हसीना को वापस लाने का प्रयास करेंगे. उन्होंने भारत के साथ हुए कानूनी समझौतों का भी जिक्र किया और कहा कि इस मुद्दे पर अटकलें लगाना उचित नहीं है.
मोहम्मद तौहीद हुसैन से सवाल किया गया कि क्या अंतरिम सरकार को हसीना के भारत में होने की जानकारी है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बारे में भारत से ही पूछना बेहतर है. बांग्लादेश ने हसीना और उनके परिवार के राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं. भारत के साथ हुए समझौते कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं और राष्ट्रीय हितों के आधार पर उनकी समीक्षा की जा सकती है.
शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में 51 मामले दर्ज हैं. इसमें से 42 हत्या से जुड़े हैं. वह भारत में 20 दिनों से अधिक समय से रह रही हैं. उनके पास राजनयिक पासपोर्ट के अलावा कोई अन्य पासपोर्ट नहीं है. भारतीय वीजा नीति के अनुसार, राजनयिक या आधिकारिक पासपोर्ट धारक बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में 45 दिनों रहने की अनुमति है. अब जबकि हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है, उनके प्रत्यर्पण की संभावना बढ़ गई है.
अगर भारत मानता है तो शेख हसीना का प्रत्यर्पण 2013 में भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत होगा. इसे 2016 में संशोधित किया गया था. संधि के अनुसार, राजनीतिक आरोपों के मामले में प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है, लेकिन हत्या जैसे मामलों में प्रत्यर्पण का प्रावधान है. अब, हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द किए जाने के बाद भारत के सामने एक गंभीर कूटनीतिक समस्या उत्पन्न हो गई है.