'सागर के रक्षक हम' इसलिए चीन को दे रहे न्यौता, भारत को लेकर बिगड़े मोहम्मद यूनुस के बोल
हाल ही में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन में दिए एक भाषण के दौरान विवादास्पद बयान दिए, जिनका वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस क्लिप में मोहम्मद यूनुस को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि बांग्लादेश इस क्षेत्र में समुद्र का एकमात्र संरक्षक है और चीन को क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं के लिए आमंत्रित किया.

Mohammad Yunus Against India: मोहम्मद यूनुस का यह बयान बांग्लादेश और भारत के समुद्री संबंधों पर एक नया विवाद उत्पन्न कर रहा है. उनका कहना था कि भारत के सात राज्य भूमि से घिरे हुए हैं और उनका समुद्र से कोई सीधा संपर्क नहीं है. इस वजह से बांग्लादेश ही इस क्षेत्र में समुद्र के संसाधनों का सही संरक्षक है. उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश का यह दायित्व है कि वह समुद्र से जुड़े विकास कार्यों में सक्रिय रूप से भूमिका निभाए और इसी कारण उन्होंने चीन को इस क्षेत्र में परियोजनाएं लागू करने के लिए आमंत्रित किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि क्या यह उचित है कि यूनुस चीन से कह रहे हैं कि भारत के सात राज्य भूमि से घिरे हैं, जबकि यह बांग्लादेश का अपने क्षेत्रीय दावे को बढ़ावा देने का तरीका प्रतीत होता है.
तिस्ता नदी पर भी विवाद खड़ा कर रहे यूनुस
इसके साथ ही, मोहम्मद यूनुस ने चीन से तिस्ता नदी के जल प्रबंधन के लिए एक 50 वर्षीय मास्टर प्लान देने की भी मांग की. बांग्लादेश के लिए यह नदी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत से होकर बहती है. यूनुस ने चीन को जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ मानते हुए कहा कि बांग्लादेश को जल संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए चीन से सीखने की आवश्यकता है.
इन जगहों पर चीन को न्यौता दे रहे यूनुस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश और चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर भी चर्चा हुई है. यह नदी, जो चीन में उत्पन्न होती है और भारत के कई हिस्सों से बहती हुई बांग्लादेश तक जाती है, उसके जल प्रबंधन पर दोनों देशों ने विचार किया है. इसके अलावा, बांग्लादेश ने चीन को मोंगला पोर्ट और चटगाँव के आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए सहयोग की पेशकश की है.
इस पूरे घटनाक्रम में बांग्लादेश का चीन के साथ बढ़ता सहयोग और भारत के साथ जटिल संबंध दर्शाते हैं कि भविष्य में दक्षिण एशिया में समुद्री और जल संसाधन प्रबंधन को लेकर तनाव बढ़ सकता है.