बांग्लादेश में हिंसा! आखिर क्या चाहते हैं छात्र? जानें संकट के 5 बिंदु
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में आरक्षण के लिए विरोध में हो रहे आंदोलन में अब 39 लोगों की मौत हो गई है और हजारों लोग घायल हुए हैं. रेल, मेट्रो और इंटरनेट सेवाएं बाधित होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. टीवी स्टेशन में आग लगने से संचार में बाधा आई है. आइये जाने छात्र किस कारण प्रदर्शन कर रहे हैं और वो चाहते क्या है. साथ ही समझते हैं इस संकट के 5 बिंदु?
Bangladesh Violence: भारत का पड़ोसी बांग्लादेश इनदिनों हिंसा का शिकार है. आरक्षण के लिए विरोध में हो रहे आंदोलन में अब तक कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई है. इस आंदोलन में हजारों लोग घायल हुए हैं. वहीं कई शहरों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. रेल, मेट्रो और इंटरनेट सेवाएं बाधित हुई हैं. प्रदर्शनकारियों ने एक टीवी स्टेशन को भी आग के हवाले कर दिया है. आइये जाने हमारे पड़ोस में छात्र किस कारण प्रदर्शन कर रहे हैं और वो चाहते क्या है. साथ ही समझते हैं इस संकट के 5 बिंदु?
बांग्लादेश में 1 जुलाई से आंदोलन चल रहा है. ये मामला उच्च न्यायालय द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के कोटे को बहाल करने से शुरू हुआ है. धीरे-धीरे आंदोलन हिंसक झड़पों में बदल गया है. आइये जानते हैं आंदोलन का मूल कारण और इससे जुड़ी 5 बातें.
क्यों हो रहा है विरोध?
पिछले महीने सरकार ने HC फैसले के बाद सरकारी नौकरी में आरक्षण सिस्टम में सुधार किया. इससे पहले 2018 में शेख हसीना इसे लागू करने से मना कर दिया था. सरकार की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को 7 अगस्त तक निलंबित कर दिया है. छात्रों में गुस्सा तब भड़का जब हसीना सरकार ने उनकी मांग से मामला कोर्ट में होने की बात कहते हुए किनारा कर लिया.
संकट के 5 बिंदु
- सप्ताह के शुरू में सात लोगों की मौत के बाद गुरुवार को कम से कम 32 लोगों की मौत हुई. ये संख्या बढकर 39 हो गई
- हिंसक विरोध प्रदर्शनों के कारण शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल कॉलेज बंद कर दिए हैं
- ट्रेन, मेट्रो सेवाएं प्रभावित हुई हैं. गाड़ियों पर पथराव के बाद सरकार ने ये फैसला लिया है
- मोबाइल इंटरनेट सेवा पूरे बांग्लादेश में बेंद कर दी गई है. ताकि, हिंसा का प्रसार न हो सके
- गुरुवार दोपहर टीवी स्टेशन में आग इमारत के साथ साथ कारों और मोटरसाइकिलों को नुकसान हुआ है
छात्रों की मांग
छात्रों की मांग है कि नौकरियों में आधे से अधिक पदों पर एक खास समूह को आरक्षण न दिया जाए. इसमें पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में शामिल सौनिकों के परिवार को मिल रही सुविधा भी शामिल है. इस सिस्टम को 1972 में लागू किया गया था. हालांकि, इसमें कई बार परिवर्तन हो चुका है.