हलाल कर दो... बांग्लादेशी हिंदुओं को गला रेतने की दी जा रही धमकी, कट्टरपंथियों लगा रहे भयावह नारे
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार ने हालात गंभीर बना दिए हैं. हाल ही में इस्कॉन धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हिंदू समुदाय ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इस दौरान इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले नारे लगाए और समुदाय को निशाना बनाने की धमकी दी.
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार चिंता का विषय हैं. जहां एक ओर कट्टरपंथी खुलेआम हिंसा भड़काने के नारे लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यक समुदाय अपनी सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है. भारत और बांग्लादेश के बीच इस मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ सकता है. अब देखना यह है कि बांग्लादेश सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है.
इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कट्टरपंथी समूह हिंदुओं को "हलाल" करने की बात कर रहे हैं. जैसे जानवरों को हलाल किया जाता है, उसी तरह हिंदुओं को मारने की धमकी दी जा रही है. इन धमकियों और हिंसक घटनाओं के कारण हिंदू समुदाय भय के साये में जीने को मजबूर है.
"ধইরা ধইরা জবাই কর!"
— Indrajit Kundu | ইন্দ্রজিৎ (@iindrojit) November 27, 2024
That's an open call for genocide against Hindus in #Bangaldesh pic.twitter.com/kcvEZerf0c
इस्कॉन केंद्र पर हमला और श्रद्धालुओं को हिरासत में लिया गया
बता दें कि चटगांव स्थित इस्कॉन नमहट्टा केंद्र पर भी मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हमला किया और जबरदस्ती केंद्र को बंद करा दिया. इसके बाद श्रद्धालुओं को सेना के वाहन में भरकर ले जाया गया. इससे पहले कई हिंदू मंदिरों पर हमले, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं भी हो चुकी हैं.
भारत ने जताई कड़ी नाराजगी
भारत ने इस पूरे मामले पर नाराजगी जाहिर की है. भारत सरकार ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वहां की सरकार की है. भारत ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को जेल में डालना अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन है.
बांग्लादेश सरकार का बयान
बांग्लादेश सरकार ने भारत की नाराजगी पर बयान जारी कर कहा कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. सरकार ने दावा किया कि बांग्लादेश की न्यायपालिका स्वतंत्र है और यह मामला अदालत में विचाराधीन है.