यूक्रेन को बड़ा झटका: NATO ने पलटा अपना फैसला, क्यों लिया यू-टर्न?
रॉयटर्स के अनुसार, यूरोपीय नेता बदली हुई भू-राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा प्रस्तावित यूक्रेन में सैनिक भेजने की योजना पर पुनर्विचार कर रहे हैं. यूरोपीय देशों के लिए यह योजना अब चुनौतियों से भरी हुई नजर आ रही है, और वे इसे पलटने पर काम कर रहे हैं. रूस और अमेरिका के बीच रिश्तों में सुधार, यूक्रेन की कमजोर स्थिति और युद्ध के मैदान पर बदलाव ने इस फैसले को प्रभावित किया है.

यूरोपीय देशों और NATO के सदस्य देश अपनी उस योजना से पीछे हट रहे हैं, जिसके तहत यूक्रेन को सैन्य मदद देने का विचार था. पहले यह बताया गया था कि अगर शांति समझौता होता है, तो यूरोपीय देश यूक्रेन में सैनिक भेजकर उसे रूस के हमले से बचाएंगे और सैन्य सहायता देंगे, लेकिन अब यह योजना मुश्किल में पड़ती दिख रही है. नाटो देशों के इस कदम से यूक्रेन को बड़ा झटका लगा है.
रॉयटर्स के अनुसार, यूरोपीय नेता अब ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा प्रस्तावित सैनिकों को भेजने की योजना पर विचार कर रहे हैं, और उसे बदलने पर काम कर रहे हैं. यह माना जा रहा है कि यूरोपीय देशों ने अपना प्रस्ताव वापस लिया है क्योंकि हाल ही में अमेरिका और रूस के रिश्ते बेहतर हो रहे हैं, और रूस अब धीरे-धीरे अमेरिका के करीब आ रहा है. दूसरी ओर, यूक्रेन युद्ध के मैदान में पीछे हटता दिख रहा है और रूस ने आगे बढ़ने की स्थिति में है.
यूरोपीय देशों का यू-टर्न क्यों?
रॉयटर्स के अनुसार, एक अनाम यूरोपीय राजनयिक ने कहा कि यूरोपीय देश अपने फैसले पर फिर से विचार कर रहे हैं और अब इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं. एक अन्य राजनयिक ने बताया कि जब यूक्रेन बेहतर स्थिति में था, तो सैनिकों को भेजने का विचार आकर्षक लग रहा था, लेकिन अब, यूक्रेन कमजोर हो गया है, और अमेरिकी प्रशासन भी अपनी नीति बदल रहा है, इसलिए यूरोपीय देशों का यह प्लान अब आकर्षक नहीं रह गया है.
पेरिस योजना अधर में लटकी
11 मार्च को पेरिस में 30 से ज्यादा देशों के सैन्य अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसे पेरिस योजना कहा गया. इसमें एक अंतरराष्ट्रीय सेना बनाने की बात की गई थी, जिसका उद्देश्य युद्ध विराम के बाद रूस को फिर से हमला करने से रोकना था. इस बैठक में नाटो देशों के अधिकांश प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, लेकिन अमेरिका को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया था.
अमेरिका-रूस के रिश्ते सुधर रहे हैं
दूसरी ओर, अमेरिका रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम की कोशिश कर रहा था. बाद में, यूक्रेन ने 30 दिनों के युद्धविराम पर सहमति दी थी. हाल ही में, रूस और अमेरिका के बीच एक टेलीफोन बातचीत हुई थी, जिसमें रूस ने आंशिक युद्धविराम पर सहमति जताई थी और यूक्रेन के महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमले न करने का वादा किया था. इस सप्ताह, यूक्रेन और रूस ने काला सागर में भी युद्धविराम पर सहमति जताई है. पुतिन धीरे-धीरे अमेरिका से अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, और उन्होंने कई प्रतिबंध हटाने की मांग की है. ट्रंप ने भी सकारात्मक जवाब दिया है. यूरोपीय देशों को यह स्थिति खतरनाक लग रही है, इसलिए वे अपनी योजनाओं से पीछे हट रहे हैं.