पाकिस्तानी सेना का बड़ा खुलासा, 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी मौजूदगी की बात कबूली
Islamabad: पाकिस्तानी सेना ने पहली बार 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है. पहले पाकिस्तान ने इसे 'कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों' का काम बताया था लेकिन अब जनरल असीम मुनीर ने इस पर चुप्पी तोड़ी है. यह घोषणा एक बड़ा उलटफेर है जो पुराने दावों को चुनौती देती है और नए सवाल उठाती है.
Islamabad: पाकिस्तानी सेना ने पहली बार आधिकारिक तौर पर 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी संलिप्तता को स्वीकार किया है. इससे पहले केवल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अज़ीज़, परवेज़ मुशर्रफ़ और नवाज शरीफ ने इस युद्ध में पाकिस्तान की भूमिका की बात की थी लेकिन कभी भी पद पर रहते हुए नहीं.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने शुक्रवार को रक्षा दिवस के अवसर पर अपने भाषण में कहा, '1948, 1965, 1971 या कारगिल युद्ध में कई लोगों ने अपना बलिदान दिया है.' यह पहली बार है जब पाकिस्तानी सेना ने कारगिल युद्ध में अपनी प्रत्यक्ष भागीदारी को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है.
युद्ध के दौरान, पाकिस्तान ने सीधे सैन्य भागीदारी से इनकार किया था और घुसपैठियों को 'कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानी' या 'मुजाहिदीन' बताकर इसे छुपाने की कोशिश की थी. पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था कि वे केवल 'सक्रिय रूप से गश्त' कर रहे थे जबकि 'कबीलाई नेताओं' ने ऊंचाइयों पर कब्जा किया था.
#PakArmy chief Gen #Asim Munir accepted that what happened in #Kargil -99 was not conflict it was a war… pic.twitter.com/uLO6dJmWmV
— sandeep bol (@SandeepBol) September 7, 2024
पाकिस्तान ने किया था शव लेने से इनकार
उल्लेखनीय है कि कारगिल युद्ध के दौरान, पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के शव लेने से इनकार कर दिया था. भारतीय सेना ने ही इन शवों का अंतिम संस्कार किया था. इसके अलावा कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ ने भी इस संघर्ष में पाकिस्तान की भूमिका को स्वीकार किया था लेकिन यह स्वीकारोक्ति उनके पद छोड़ने के बाद हुई थी. शरीफ़ ने 1999 के लाहौर घोषणापत्र का उल्लंघन करने की बात मानी, जिस पर उन्होंने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हस्ताक्षर किए थे.
कारगिल युद्ध के दौरान भारत का संघर्ष
1999 का कारगिल युद्ध जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया एक बड़ा सैन्य संघर्ष था. पाकिस्तान के सैनिकों ने आतंकवादियों के वेश में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर लिया था. भारत ने मई 1999 में इस घुसपैठ का पता लगाया, जिसके बाद कारगिल के ऊंचाई वाले इलाके में भीषण युद्ध छिड़ गया.
भारतीय सेना ने तोपखाने और हवाई हमलों का इस्तेमाल करते हुए घुसपैठियों को खदेड़ने में महत्वपूर्ण प्रगति की. लगभग तीन महीने तक चले इस युद्ध का समापन जुलाई 1999 में हुआ, जब भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक इस क्षेत्र पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया.