आज आसमान में दिखेगा नीला चांद, रक्षाबंधन होगा खास; जानिए इसके पीछे का विज्ञान
Super Blue Moon: भारत में 19 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. लेकिन यह तारीख खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए भी बेहद खास मौका लेकर आई है. 19 अगस्त की रात को साल का पहला सुपर मून दिखाई देगा. इसके साथ ही यह चंद्रमा ब्लू मून भी होगा. ऐसे में आइए विज्ञान के नजरिए से समझते हैं कि सुपर ब्लू मून इतना खास क्यों है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की रिपोर्ट के अनुसार, 19 अगस्त से अगले तीन दिनों तक यानी रविवार की सुबह से बुधवार की सुबह तक पूरा चांद दिखाई देगा.
Super Blue Moon: देशभर में आज रक्षाबंधन मनाया जा रहा है. ये त्योहार सभी के लिए बेहद खास होता है. लेकिन इस बार अंतरिक्ष में रुचि रखने वालों के लिए भी यह दिन बेहद खास होने वाला है. क्योंकि आज यानी 19 अगस्त को आसमान में नीला चांद नजर आएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये चांद इतना खास क्यों है? क्या नीले चांद का मतलब यह है कि हम इस दिन नीला चांद देखेंगे? आइए ये सब जानना सुपरमून से शुरू करते हैं और जानते हैं कि इसके पीछे का विज्ञान क्या है?
जैसे ही चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, वह कभी-कभी पृथ्वी के करीब आ जाता है. इसलिए कई स्थानों पर यह पृथ्वी से दूर होता रहता है. यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से 90 प्रतिशत करीब होता है. तो फिर ये सबसे सुपरमून है. क्योंकि इस दिन चंद्रमा पूरी तरह से दिखाई देता है और चंद्रमा करीब होता है, इसलिए यह हर दिन आकार में थोड़ा बड़ा और लगभग 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देता है। यह सुपर मून की कहानी है. अब बात करते हैं ब्लू मून की.
चांद हर दिन एक जैसा नहीं दिखता
चांद हर दिन एक जैसा नहीं दिखता. चंद्रमा हर दिन अलग तरह से उगता है. चंद्रमा आठ चरणों में आकाश में दिखाई देता है. कभी नया, कभी आधा तो कभी पूरा चंद्रमा दिखाई देता है. चंद्रमा की कलाओं का एक चक्र होता है. यह एक महीने तक जारी रहता है. इसलिए हम आम तौर पर एक वर्ष में 12 पूर्ण चंद्रमा देखते हैं. यहां से हम ब्लू मून को समझने की कोशिश करेंगे.
कब दिखता है नीला चांद
चंद्रमा के चरणों का एक चक्र पूरा होने में वास्तव में 29.5 दिन लगते हैं. इसका मतलब है कि चंद्रमा के 12 चक्र पूरे करने में 354 दिन लगते हैं. इस कारण से, 13वीं पूर्णिमा हर 2.5 साल या एक कैलेंडर वर्ष में मनाई जाती है. इस 13वीं पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है. ये ब्लू मून हम 19 अगस्त को देखेंगे. नासा के मुताबिक आखिरी नीला चांद 30 अगस्त 2023 को देखा गया था. ब्लू मून लगभग हर दो से तीन साल में होता है. अगला मौसमी नीला चांद 31 मई, 2026 को होगा.
ब्लू मून के पीछे का विज्ञान क्या है?
वैसे तो चंद्रमा का रंग नहीं बदलता, लेकिन अगर ज्वालामुखी फटता है तो चंद्रमा का रंग हमें नीला दिखाई देता है. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा कैसे और क्यों होता है? दरअसल, यह चंद्रमा तभी नीला दिखाई देगा जब उस रात कोई ज्वालामुखी फटेगा. ऐसा कई बार हुआ है. वहीं इस बार भी राखी बंधन के दिन बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट होने की आशंका है. तो इस साल भी हमें ब्लू मून देखने को मिल सकता है.
नीला चांद कब दिखाई दिया?
नासा के अनुसार, 1883 में क्राकाटोआ नामक इंडोनेशियाई ज्वालामुखी फटा था. इससे उससे निकली राख करीब 80 किमी तक हवा में फैल गई. राख के छोटे-छोटे टुकड़े फिल्टर का काम करते हैं. ये टुकड़े लाल रोशनी उत्सर्जित करते हैं. ऐसे में जब हम आसमान की ओर देखते हैं. तो ये लाल कण और चांदनी मिश्रित होते हैं और चंद्रमा को एक विशिष्ट नीला-हरा रंग देते हैं. इसीलिए इसे ब्लू मून कहा जाता है. इनमें 1983 में मेक्सिको में एल चिचोन ज्वालामुखी का विस्फोट और 1980 में माउंट सेंट हेलेन्स और 1991 में माउंट पिनातुबो का विस्फोट शामिल है.