भारत से BNP की मांग, 'शेख हसीना हमें सौंपो', क्या है दोनों देशों की प्रत्यर्पण संधि?
India And Bangladesh Extradition Treaty: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और देश छोड़ दिया. वो फिलहाल भारत में हैं. ऐसे में अब बांग्लादेश में उन्हें वापस लाने की मांग हो रही है. वहां की मुख्य पार्टी BNP ने भारत से उन्हें वापस सौंपने की मांग की है. ऐसे में आइये जानते हैं दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि क्या है?
India And Bangladesh Extradition Treaty: बांग्लादेश में अब शेख हसीना को वापस लाने की मांग हो रही है. इस बीच मुख्य विपक्षी पार्टी BNP ने मंगलवार को भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग की है. इसमें कहा गया है कि उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाए जिससे उन पर हत्या और अन्य मामलों में मुकदमा चलाया जा सके. ये मामले उनपर छात्रों के विद्रोह को दबाने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर दर्ज किए गए हैं. BNP ने मांग की है कि आप उन्हें कानूनी तरीके से बांग्लादेश सरकार को सौंप दें.
बता दें बांग्लादेश में कोटा के खिलाफ 2 महीने तक उग्र प्रदर्शन हुआ. छात्रों का आंदोलन सरकार के खिलाफ हो गया. इसके बाद देश में भारी संख्या में हत्याएं हुई. आखिरी-आखिरी में आंदोलन प्रधानमंत्री के आवास तक पहुंच गया. ऐसे में शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा. इसके बाद से देश में अंतरिम सरकार का गठन किया गया जो अब हालातों पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. इसके साथ आगे के कदमों पर विचार कर रही है.
BNP ने की भारत से मांग
BNP महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर, पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष जियाउर रहमान को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. इसके बाद उन्होंने मीडिया से बात की. इस दौरान मिर्जा ने कहा कि शेख हसीना को भारत में शरण की अनुमति लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता के अनुरूप नहीं है. वहां रहकर उन्होंने बांग्लादेश में हुई क्रांति को विफल करने के लिए कई साजिशें शुरू कर दी हैं.
बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि है. ऐसे में भारत को उन लोगों को सौंपना होगा जिनके खिलाफ अदालती मामला चल रहा है. इसके लिए बांग्लादेश सरकार ने कार्यवाही शुरू की है. शेख हसीना के खिलाफ जो मामले हैं वो प्रत्यर्पण संधि की शर्तों को पूरा करते हैं.
क्या है दोनों देशों की प्रत्यर्पण संधि?
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि बनी थी. इसमें ऐसे लोगों को प्रत्यर्पित करने की बात कही गई है जिनके खिलाफ अदालत द्वारा कार्यवाही की गई है. संधि के अनुसार, कम से कम एक वर्ष की कैद की सजा के अपराध का होना जरूरी है. खास बात ये कि वो अपराध दोनों देशों में दंडनीय होना चाहिए. हालांकि, कई मामलों को इस संधि से अलग रखा गया है. इसमें राजनीतिक प्रवृत्ति के अपराध हैं.