Border agreement between India and China: रूस के कजान में होने वाली ब्रिक्स समिट से पहले भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण बॉर्डर एग्रीमेंट हुआ है. इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर गश्त के लिए सहमति बनाई है. इसे पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात से पहले पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध का समाधान मानकर देखा जा रहा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस समझौते की जानकारी दी और कहा कि भारत और चीन 2020 से पहले की स्थिति पर लौट आएंगे. इससे पिछले चार सालों से चल रहा तनाव कम होने की उम्मीद है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समझौते में रूस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वर्तमान में, भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है, और कनाडा के दोस्त अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूके और ऑस्ट्रेलिया उसके साथ खड़े हैं. इस स्थिति में, रूस ने भारत और चीन को एक साथ लाने की कोशिश की ताकि दोनों देशों के बीच तनाव ना बढ़े.
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि हाल ही में भारत और चीन के मंत्रियों के बीच कई बैठकें हुई हैं. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने सितंबर में रूस का दौरा किया था, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता को बनाए रखने पर चर्चा की.
रूस का यह कदम उसके अपने स्वार्थ के कारण भी है. पुतिन नहीं चाहते कि भारत और चीन के बीच तनाव बढ़े, क्योंकि इससे ब्रिक्स कमजोर हो सकता है. भारत और चीन के बीच तनाव से भारत की पश्चिमी देशों के साथ नजदीकी बढ़ सकती है, जो रूस के लिए चिंता का विषय है. पुतिन चाहते हैं कि ब्रिक्स समिट में मोदी, जिनपिंग और पुतिन की एक साथ फोटो खिंचवाई जाए, ताकि दुनिया को यह संदेश मिले कि रूस दोनों देशों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहता है.
हालांकि, जबकि एक ओर भारत और चीन के बीच शांति की बात हो रही है, दूसरी ओर शी जिनपिंग अपने सैनिकों से जंग की तैयारी की बात कर रहे हैं. हाल ही में एक वीडियो में, उन्होंने अपने सैनिकों से कहा कि वे जंग के लिए तैयार रहें. शी जिनपिंग पिछले तीन साल से इस तरह के बयान दे रहे हैं, क्योंकि आने वाले सालों में उनका ध्यान ताइवान पर रहेगा. इस तरह, भारत और चीन के बीच समझौता होना एक सकारात्मक कदम है, जो रूस के लिए भी फायदेमंद है.
First Updated : Tuesday, 22 October 2024