'बाय-बाय राशा..' ट्रंप ने ब्राउन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर को अमेरिका से निकाला, हिजबुल्लाह से कनेक्शन का आरोप
अमेरिका ने ब्राउन यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर और किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ, लेबनानी डॉक्टर राशा अलाविएह को निर्वासित कर दिया है. अधिकारियों के अनुसार, उनके फोन में हिज़बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोगों की तस्वीरें और वीडियो मिले थे. राशा को बोस्टन एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया और पूछताछ के दौरान उन्होंने नसरल्लाह के अंतिम संस्कार में शामिल होने की बात स्वीकार की.

अमेरिका ने ब्राउन यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर और किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ, लेबनानी डॉक्टर राशा अलाविएह को देश से निष्कासित कर दिया है. अधिकारियों का कहना है कि उनके फोन में हिज़बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोगों की "सहानुभूति दिखाने वाली" तस्वीरें और वीडियो मिले थे. इस मामले ने अमेरिका में राजनीतिक और कानूनी बहस को हवा दे दी है, क्योंकि यह आरोप लगाया जा रहा है कि उन्हें अमेरिकी अदालत के आदेश के बावजूद जबरन निर्वासित किया गया.
व्हाइट हाउस ने इस मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर दी. अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की एक पोस्ट को शेयर करते हुए व्हाइट हाउस ने लिखा, "बाय-बाय राशा," और इसके साथ एक तस्वीर थी जिसमें डोनाल्ड ट्रंप ड्राइव-थ्रू विंडो से हाथ हिलाते दिख रहे थे.
एयरपोर्ट पर हिरासत में ली गई थी डॉक्टर राशा
आपको बता दें कि 34 वर्षीय राशा अलाविएह एक H-1B वीजा होल्डर थी और ब्राउन यूनिवर्सिटी में मेडिसिन की असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थी. उन्होंने अमेरिका के तीन बड़े विश्वविद्यालयों में फेलोशिप और रेजीडेंसी भी की थी. बीते गुरुवार को जब वह लेबनान से अपनी यात्रा समाप्त कर अमेरिका लौटी, तो उन्हें बोस्टन के लोगान इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया. अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि उनके फोन के ‘डिलीटेड आइटम्स’ फोल्डर में हिजबुल्लाह नेता नसरल्लाह और अन्य आतंकवादियों की तस्वीरें और वीडियो मिले. पूछताछ के दौरान, अलाविएह ने कबूला कि उन्होंने हाल ही में नसरल्लाह के अंतिम संस्कार में भाग लिया था और उन्हें धार्मिक दृष्टिकोण से समर्थन देती हैं.
कोर्ट के आदेश के बावजूद की गई निर्वासन की कार्रवाई?
राशा अलाविएह की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज लियो सोरोकिन ने शुक्रवार को आदेश दिया कि उन्हें सोमवार को अदालत में पेश किया जाए. हालांकि, शनिवार को उनकी कजिन द्वारा दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि अमेरिकी कस्टम अधिकारियों ने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना की और उन्हें लेबनान निर्वासित कर दिया.
राजनीतिक बहस और अमेरिका का सख्त रुख
अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. कुछ लोग इसे आतंकवाद से निपटने की सख्त नीति बता रहे हैं, तो कुछ इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दे रहे हैं. राजनीतिक रूप से भी यह मामला तूल पकड़ रहा है, क्योंकि बाइडन प्रशासन की नीतियों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.