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आतंकियों को हैवान बनाने वाली टैबलेट: 'कैप्टागन' की खौफनाक कहानी

आज हम आपको एक ऐसी दवाई के बारे में बताएंगे जो कि 7 अक्तूबर 2023 को इजरायल पर हुए हमास के हमले के बाद यह दवाई चर्चा में आई. इस दवाई का नाम 'कैप्टागन' है जिसे हैवान बनने के लिए आतंकवादी इस्तेमाल करते हैं.  इसे 'गरीबो की कोकीन' भी कहा जाता है, क्योंकि यह सस्ती और लैब में तैयार की जाती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमास के आतंकवादियों ने इस टैबलेट का इस्तेमाल हमला करने से पहेल किया था. भूख, दर्द और डर को खत्म कर इंसान को हैवान बना देने वाली यह गोली अब आतंक की दुनिया में जांग का नया इंधन बन चुकी है. 

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशनल न्यूज. World of Terrorism में सिर्फ हथियार ही नहीं, बल्कि नशे की ताकत भी खतरनाक हथियार बन चुकी है। एक ऐसी गोली, जो इंसान की Hunger, fatigue, pain and fear को खत्म कर देती है। ये गोली है कैप्टागन — जिसे आतंकवाद की नई ताकत कहा जा रहा है। इस गोली का असर ऐसा होता है कि आतंकी लड़ते वक्त हैवान बन जाते हैं, उन्हें न अपनी जान की परवाह होती है और न किसी दूसरे की। जब 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकियों ने इजराइल पर भयानक हमला किया, तो एक बार फिर कैप्टागन चर्चा का विषय बन गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमले से पहले हमास के लड़ाकों ने यही टैबलेट ली थी। इजराइल में इसे अब 'नुकबा ड्रग' कहा जाने लगा है। 'नुकबा' हमास की वो खास यूनिट है, जिसने 7 अक्टूबर को सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी।

आखिर क्या है कैप्टागन?

कैप्टागन दरअसल फेनेथाइलीन नाम के केमिकल से बनी दवा है। 1960 के दशक में इसे मेडिकल इस्तेमाल के लिए बनाया गया था। ADHD (ध्यान केंद्रित न कर पाने की बीमारी) और डिप्रेशन जैसी समस्याओं में इसे काम में लिया जाता था। लेकिन इसके लती बनाने वाले असर की वजह से 1980 में इसे बैन कर दिया गया। इसके बाद ये ड्रग्स की दुनिया में अवैध रूप से फैल गई। इसे गरीबों का कोकीन भी कहा जाता है क्योंकि यह सस्ती है लेकिन असर कई गुना ज्यादा खतरनाक। पहचान के लिए इसकी गोलियों पर आधे चांद जैसे निशान होते हैं।

सीरिया बना कैप्टागन का गढ़

आज इस ड्रग का सबसे बड़ा उत्पादन सीरिया और लेबनान में होता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के भाई महर अल असद इस धंधे का बड़ा नाम हैं। बताया जाता है कि सीरिया हर साल इस ड्रग से 5 अरब डॉलर से ज्यादा कमाई करता है। ये दवा आतंकियों को आसानी से पहुंचाई जाती है ताकि वो ज्यादा देर तक बिना थके लड़ सकें।

आतंकियों के पास कई बार मिली ये टैबलेट

  • दिसंबर 2023 — एलनबी ब्रिज पर दो महिलाएं 4 किलो कैप्टागन के साथ पकड़ी गईं।
  • दिसंबर 2020 — नित्ज़ाना बॉर्डर पर 75,000 टैबलेट बरामद।
  • केरम शालोम बॉर्डर — तुर्की से आए सामान में सैंडल की हील में छिपाकर लाई गई कैप्टागन।
  • 2020 — गाजा भेजी जा रही 4 लाख टैबलेट पकड़ी गईं।

 इस कारण खतरनाक है यह दवा

यह दवा शरीर को दिमाग पर ऐसा असर डालती है कि इंसान को सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है. कई बार यूजर्स को पता ही नहीं होता कि वे क्या खा रहे हैं. ये ड्रग आक्रमाकता, हिंसा, मानकिस असंतुलन और भावनात्मक दूरी पैदा करती है. यही वजह है कि आतंकियों के लिए यह दवा एक ऐसा हथियार बन चुकी है, जो उन्हें इंसान से मशीन में बदल देती है.

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08 April 2025, 12:57 PM IST

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