Israel Hamas War: गाजा में हो रहे इजरायल-हमास के बीच युद्ध में हजारों की संख्या में अभी तक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, इसी बीच दक्षिण अफ्रीका इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में 84 पेजों के एक मुकदमा दायर किया गया है. जिसमें आरोप लगाया गया है कि इजरायल हमास से युद्ध के नाम पर जनसंहार कर रहा है. इस जनसंहार में फिलिस्तीन के लोगों की हत्या, मानसिक रूप प्रताड़ना और शारीरिक क्षति से लेकर संपत्ति को ध्वस्त किया गया है. मुकदमें में कहा गया कि ऐसी प्रकृति से तो ऐसा लग रहा है कि इजरायली सेना सामूहिक रूप से फिलिस्तीनियों की तबाही चाहती है. ़ॉ
बताया जा रहा है कि इस सदी का सबसे बड़ा मुकादमा होगा, जिसकी सुनवाई 11 और 12 जनवरी को होनी है. जहां पर दक्षिण अफ्रीका और इजरायल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कोर्ट रूप में क्रॉस बहस करेंगे. पूरी दुनिया की नजरें इस बड़े केस पर टिकी हुई होगी कि क्या इस बार सीजफायर होगा और फिलिस्तीनियों को इंसाफ मिलेगा? दक्षिण अफ्रीका ने इस युद्ध को जनसंहार बताते हुए 29 दिसंबर 2023 को मुकदमा दायर किया था.
वहीं, इसके मुकदमे के दायर होने के बाद इजरायली पीएम बेंजमिन नेतन्याहू ने कहा कि गाजा में इजरायली सेना युद्ध के दौरान पूरी तरीके से नैतिकता का पालन कर रही है. दूसरी तरफ इजरायली सरकार के प्रवक्ता ने दक्षिण अफ्रीका की ओर दायर मुकदमे की तुलना ब्लड लाइबल से की है. विद्वानों का इस मुकदमे पर कहा कि दक्षिण अफ्रीका की ओर से दायर याचिका बहुत व्यापक और बहुत ध्यान से लिखी गई है. इस याचिका के अनुसार अब इजरायल को हर उस हमले का जवाब बहुत विस्तार से देना होगा जो उन्होंने अस्पताल और सिविल सोसायटी पर किया है.
साउथ अफ्रीका ने स्पष्टता से कहा कि उन्होंने यह मुकदमा दायर करने से पहले इजरायल से हर उस स्तर बार की थी, जहां चर्चा को संभावित बनाया जा सके. अब इजरायली से सरकार का कहना है कि इंटरनेशनल कोर्ट में वह केस मजबूती के साथ लड़ेगा. लेकिन इससे पहले हमास के शुरूआती हमले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए जवाब दाखिल करना होगा. इसके साथ ही यह सवाल सबके बीच काफी सुर्खियों में बना हुआ है कि क्या किसी सरकार या व्यक्ति को जनसंहरा का मुजरिम बनाया जा सकता है? तो इसका जवाब देते हुए ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन में क़ानून के प्रोफ़ेसर माइकल बेकर ने कहा कि किसी व्यक्ति को जनसंहार को दोषी ठहराना तब भी आसान है. लेकिन सरकार को दोषी सिद्ध करना करना काफी मुश्किल भरा होता है. उन्होंने आगे कहा कि जनसंहार संधि को उल्लंघन करने वाली सरकार को खोजना बहुत मुश्किल होता है. क्योंकि यह काफी भ्रम पैदा करता है.
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) संयुक्त राष्ट्री की शीर्ष अदालत है जो विश्व की सरकारों को बीच पैदा हुए विवाद पर अपना फैसला देती है. इसमें सभी देशों के सदस्य होते हैं. इस अदालत में कुल 15 जज होते हैं और यह लगभग 9 वर्ष के लिए चुने जाते हैं. कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में साल 1948 के कानून के तहत जनसंहार संधि से जुड़े विवादों की सुनवाई करना होता है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरन जर्मनी में करीब 60 लाख यहूदियों को मार दिया गया था. जिसके बाद विश्व में यह बात आम सहमति बनी थी कि ऐसी कोई घटना दोबारा न इसके लिए एक संधि बनाई गई थी. जहां लगभग अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और रूस समेत 152 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. First Updated : Sunday, 07 January 2024