Cop-29: क्या मौसम के बदलने से आते हैं सुसाइड करने के विचार? विशेषज्ञों का बड़ा खुलासा

अजरबैजान के बाकू में चल रहे कॉप-29 अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के दौरान विशषज्ञों ने दावा किया है कि इससे युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा हैं। जिस वजह से शिखर सम्मेलन में एकत्र हुए देशों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए.

Cop-29: अजरबैजान की राजधानी बाकू में चल रहे सीओपी29 (अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन) के दौरान विशेषज्ञों ने एक बड़ा दावा किया हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालने का बड़ा कारण बन रहा हैं. कई देशों के सरकारी प्रतिनिधि इस सम्मेलन में एकत्रित हुए, जिसमें जलवायु परिवर्तन से युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे असर को तत्काल प्राथमिकता दिए जाने की मांग की गई. 

चिंतित में मनोचिकित्सक

पहले से ही युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण हालात और भी खराब होते जा रहे हैं. इस कारण से मनोचिकित्सक सबसे ज्यादा चिंता में हैं. UNSW सिडनी के मनोचिकित्सकों की ओर से किए गए अध्ययन में गर्म मौसम के दौरान आत्महत्या के विचार और व्यवहार में वृद्धि के बीच एक परेशान करने वाला संबंध सामने आया है.

तनाव की बड़ी वजह ये घटनाएं 

मौसम संबंधी चरम घटनाएं की बात की जाए तो 2019 में ऑस्ट्रेलिया की विनाशकारी जंगलों की आग की घटनाएं, तूफान और बाढ़ की घटना आदि. जिस वजह से बच्चों की स्कूली शिक्षा बाधित होने के कारण प्रभावित हुई. इन घटनाओं ने विस्थापन के लिए मजबूर किया. साथ ही, ऐसी घटनाएं आघात, चिंता और तनाव की बड़ी वजह बन जाती हैं. गर्म मौसम के आने से युवाओं में सुसाइडल व्यवहार को खतरा काफी हद तक बढ़ जाता हैं. इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के असर को अनुकूल होने के लिए मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली को भी अनुकूल बनाना चाहिए. 

अत्यधिक गर्मी के नुकसान 

उदाहरण के लिए गरीब क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों की बात करें तो यहां लोगों के पास एयर कंडीशनिंग की सुविधा शायद ना हो या फिर उनके पास हरे-भरे स्थानों तक सीमित पहुंच हो सकती है. ऐसे में अत्यधिक गर्मी के कारण उन लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ सकता है. 

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17 November 2024, 12:34 PM IST

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