पाकिस्तान में बूढ़ों से शादी करने को मजबूर हैं बच्चियां, क्या है बाढ़ कनेक्शन?
Pakistan: पाकिस्तान में 2022 की भयंकर बाढ़ ने न सिर्फ फसलों को बर्बाद किया, बल्कि एक नई और परेशान करने वाली समस्या को जन्म दिया है. वो है बाल विवाह की बढ़ती संख्या. बाढ़ से प्रभावित परिवार अब अपनी बेटियों की शादी जल्दी कर रहे हैं ताकि आर्थिक संकट से उबर सकें. इस दौरान लड़कियों की उम्र से दोगुना बड़ा पति चुनना वहां की लड़कियों के लिए मजबूरी बन चुका है. क्या यह स्थिति बाल विवाह के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करती है? पाकिस्तान में बाल विवाह की इस नई लहर पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं. जानिये क्या है पूरा मामला
Pakistan: पाकिस्तान में बाल विवाह बहुत पहले से एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है. जिसे हाल के वर्षों में थोड़ी कमी आई थी लेकिन 2022 की बाढ़ ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है. खराब मौसम और आर्थिक असुरक्षा के कारण कम उम्र की लड़कियों की शादियों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गयी है.
2022 की बाढ़ का दुष्परिणाम
पाकिस्तान में जुलाई से सितंबर तक का मानसून किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसी समय फसलें उगती हैं और खाद्य सुरक्षा तय होती है. लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते बाढ़ और भूस्खलन बढ़ गए हैं जिससे फसलें खराब हो रही हैं और वहां के आर्थिक हालात बिगड़ रहे हैं. 2022 की बाढ़ ने सिंध के कई गांवों को बुरी तरह से प्रभावित किया था जिसमें एक तिहाई देश जलमग्न हो गया और लाखों लोग बेघर हो गए.
मानसून दुल्हनों की बढ़ रही संख्या
बाढ़ के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक संकट से बचने के लिए पकिस्तान में कई परिवार अपनी बेटियों की शादी जल्दी कर रहे हैं. इसे 'मानसून दुल्हनों' का नया चलन कहा जा रहा है जो बाढ़ के प्रभावों को दर्शाता है. सुजाग संसार नामक एनजीओ के संस्थापक माशूक बिरहमानी के अनुसार दादू जिले के गांवों में बाढ़ के बाद बाल विवाह की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं.
हालात की गंभीरता
वहीं अगर पाकिस्तान के अन्य गांव की बात करें तो खान मोहम्मद मल्लाह गांव में पिछले मानसून के बाद से 45 नाबालिग लड़कियां शादी कर चुकी हैं जिनमें से 15 की शादी इस साल मई और जून के बीच हुई है. अगर इन आंकड़ों पर गौर फ़रमाया जाए तो यहां बाल विवाह काफी लोगो के घर की मजबूरी बन कर रह गयी है. यह आंकड़े दर्शाते हैं कि बाल विवाह की समस्या अब एक गंभीर सामाजिक संकट बन गई है. इस समस्या से निपटने के लिए जागरूकता बढ़ाना और प्रभावी नीतियों की काफी आवश्यकता है ताकि भविष्य में बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और समाज को इस गंभीर मुद्दे से उबारा जा सके.