महाशक्ति बनने की रेस में चीन ने बढ़ाए कदम, समंदर में उतारा अपना पहला सुपरकैरियर
China News:फुजियान सुपरकैरियर टाइप-03 एयरक्राफ्ट कैरियर है. जिसका डिस्प्लेसमेंट 71,875 टन है. 316 मीटर लंबे इस युद्धपोत का बीम 249 फीट ऊंचा है. वहीं कैटोबार का मतलब है कि इसके फाइटर जेट एक गुलेल जैसे डोर की मदद से टेकऑफ और लैंड करेंगे.
China News: दुनिया की महाशक्ति बनने की रेस में चीन लगातार अपनी रक्षा ताकत में इजाफा कर रहा है. इस बीच ड्रेगन ने समंदर में अपना पहला सुपरकैरियर उतार दिया है. यह चीन का तीसरा सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत (एयरक्राफ्ट कैरियर) है. जो अमेरिका के बाद बाहर बना दूसरा सबसे एडवांस एयरक्राफ्ट कैरियर है. इसका नाम फुजियान हैं, जिसे चीन के प्रांत फुजियान के नाम पर रखा गया है. यह चीन का पहला कैटोबार एयरक्राफ्ट कैरियर है. जिसका निर्माण पूरी तरह चीन में ही हुआ है.
जानिए क्या है इस एयरक्राफ्ट की खासियत?
फुजियान सुपरकैरियर टाइप-03 एयरक्राफ्ट कैरियर है. जिसका डिस्प्लेसमेंट 71,875 टन है. 316 मीटर लंबे इस युद्धपोत का बीम 249 फीट ऊंचा है. वहीं कैटोबार का मतलब है कि इसके फाइटर जेट एक गुलेल जैसे डोर की मदद से टेकऑफ और लैंड करेंगे. यह चीन का सबसे आधुनिक और खतरनाक एयरक्राफ्ट कैरियर है इसमें
क्या है इस एयरक्राफ्ट की ताकत?
इस एयरक्राफ्ट की ताकत की बात करें तो इस युद्धपोत पर सेल्फ डिफेंस हथियारों के लिए HQ-10 शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम और 30 मिलीमीटर के एच/पीजे-11 ऑटोकैनन लगे होंगे. इसका राडार सिस्टम भी आयताकार है, यानी लंबी दूरी से आनी वाली मिसाइलों और फाइटर जेट्स को ट्रैक कर सकता है. साथ ही टारगेट को लॉक कर सकता है.
इसके अलावा यह माना जा रहा है कि चीन इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर अपने जे-15बी फाइटर जेट को तैनात करेगा. इसके अलावा नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर जे-35 को भी तैनात किया जाएगा. वहीं जे-15डी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर फाइटर जेट की भी जरूरत पड़ने पर तैनाती की जाएगी. चीन इस युद्धपोत पर के जे-600 एइडब्लूसी विमान भी तैनात करेगा, ताकि समंदर में जासूसी कर सके. केवल इतना ही नहीं, फुजिया एयरक्राफ्ट कैरियर पर जेड-8/18 यूटिलिटी और एएसडब्लू हेलिकॉप्टर्स तैनात होंगे. साथ ही नया जेड-20 मीडियम हेलिकॉप्टर भी तैनात किया जाएगा.
क्या है इस चीन का इस एयरक्राफ्ट को बनाने का मकसद?
बता दें कि चीन के इस एयरक्राफ्ट कैरियर को चीन की मिलिट्री के आधुनिकीकरण का हिस्सा माना जा रहा है. इसको बनाने के पीछे का चीन मकसद है एशियाई इलाके में अपनी ताकत को बढ़ाना है. युद्धपोतों की संख्या के मामले में चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. हालांकि क्षमताओं के मामले में वह अमेरिकी नौसेना से पीछे हैं.