'ड्रैगन बनाम ईगल': 35 साल में चीन ने कैसे America के दबदबे को दी सीधी टक्कर
कभी समय था जब चीन अमेरिका के सामन टिकता नहीं था. पर अब समय बदल चुका है. अब चीन ने व्यापार के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है. बीते तीन दशकों में चीन ने वैश्विक व्यापार में ऐसी छलांग लगाई है कि अभ अमेरिका के लिए वह चुनौती बन गया है.

International News: USA और चीन, दोनों विश्व की सबसे बड़ी Economic superpowers मानी जाती हैं. लेकिन बीते कुछ वर्षों में इनकी दोस्ती के बजाय प्रतिस्पर्धा गहराती जा रही है. आयात-निर्यात शुल्क, तकनीकी प्रतिबंध और व्यापार समझौतों को लेकर दोनों देश आमने-सामने खड़े हैं. इस आर्थिक खींचतान का असर न केवल इन दोनों देशों पर, बल्कि पूरी Global economy पर साफ दिखाई दे रहा है. मंदी का खतरा सिर पर मंडरा रहा है और निवेशकों में चिंता बढ़ रही है. 1990 तक चीन का वैश्विक व्यापार में योगदान मामूली था, लेकिन उसके बाद जो बदलाव आए, उन्होंने इतिहास रच दिया. आज चीन "वर्ल्ड की फैक्ट्री" कहलाता है. सस्ते श्रम, मज़बूत इन्फ्रास्ट्रक्चर और सरकारी सहयोग ने चीन को मैन्युफैक्चरिंग का सिरमौर बना दिया. इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में चीन ने जिस रफ्तार से ग्रोथ की है, वह हैरान कर देने वाली है.
एक्सपोर्ट में चीन की ऐतिहासिक छलांग
जहां 1990 में चीन केवल कुछ गिने-चुने देशों का प्रमुख निर्यातक था, वहीं आज 125 देशों का सबसे बड़ा आयात स्रोत बन चुका है. इसके विपरीत, अमेरिका जो कभी 175 देशों का टॉप एक्सपोर्टर था, अब केवल 35 देशों तक सिमट गया है. 2024 के आंकड़े देखें तो चीन का कुल निर्यात 3.58 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है, जबकि अमेरिका 2.06 ट्रिलियन डॉलर पर ही अटका रहा.
अमेरिका की रणनीति और बढ़ती चिंताएं
चीन के तेजी से बढ़ते दबदबे ने अमेरिका की रणनीतिक नींद उड़ा दी है. अमेरिका चीन को दबाने के लिए टैरिफ वॉर, चिप टेक्नोलॉजी में रोक और सप्लाई चेन डाइवर्सिफिकेशन जैसी रणनीतियां अपना रहा है, लेकिन चीन की पकड़ अभी भी मजबूत बनी हुई है. अमेरिका के लिए चुनौती यह है कि वह चीन को नजरअंदाज नहीं कर सकता, क्योंकि आर्थिक रूप से दोनों देश एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं.
चीन की प्रतिस्पर्धा से अमेरिका की मुश्किलें
चीन की सबसे बड़ी ताकत उसकी लागत में प्रतिस्पर्धा है. उदाहरण के लिए, एक आईफोन जो चीन में लगभग 1,000 dollars में बनता है, वही America में बनने पर उसकी लागत 1,00,000 डॉलर तक पहुंच सकती है. यही वजह है कि दुनियाभर की कंपनियां चीन को अपना प्रोडक्शन हब बना चुकी हैं. चीन अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का अभिन्न हिस्सा है. चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक जंग सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह वैश्विक Economic balance को प्रभावित कर रही है. आने वाले समय में यह टकराव और भी गहरा हो सकता है, जिससे दुनिया को मंदी और अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है.


