Falun Gong: चीनी सरकार ने क्यों किया आध्यात्मिक आंदोलन को बैन, लेकिन लगातार बढ़ रही है लोकप्रियता... जानें पूरा मामला
Falun Gong: फालुन गोंग का मानना है कि उनके दुनिया के 40 देशों में अनुयायी हैं और 40 भाषाओं में उनके विचारों को पढ़ाया जाता है. लेकिन जहां इस पंथ की स्थापना हुई वह अब इसका कुछ नामों निशाना नहीं बचा है.
Falun Gong: चीन में साल 1992 में पहली बार श्री ली होंगजी ने आध्यात्मिक परंपरा फालुन गोंग को स्थापित करने के लिए व्यायाम और साधना को अपनाया. फालुन गोंग की शुरुआत उत्तर पूर्वी चीन से हुई थी, उस वक्त चीनी सरकार इसे स्वास्थ्य के लिए मददगार के रूप देखती थी. लेकिन साल 1999 तक आते-आते इस आध्यात्मिक संगठन ने दावा किया कि उसके चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से ज्यादा समर्थक हैं. इसके संस्थापक का मानना था कि पूरी दुनिया में उनके धर्म को मानने वालों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है.
फालुन गोंग पंथ क्या है?
इस पंथ के संस्थापक ली होंग झी ऊंचे-ऊंचे स्वर में उपदेशों को पढ़ते हैं, दीवार पर लगी उनके गुरु की तस्वीर के सामने वह साधना करते हैं. लेकिन दो दशक बीत गए हैं जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी आध्यात्मिक पंथ पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसे बुरा पंथ घोषित कर दिया. लेकिन वहीं, फालुन गोंग ने चीनी सरकार पर आरोप लगाया कि चीन में उसको लोगों का दमन होता है. उनसे जबरदस्ती श्रम करवाया जाता है और उनके शरीर के अंग हासिल करने के लिए उन्हें मार दिया जाता है. वहीं, चीनी सरकार ने इन सब बातों को खंडन किया है. स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने सब बातों विश्वनीय माना है.
क्या चाइना में होता शरीर के अंग का व्यापार!
दूसरी ओर ट्रिबूयूनल ने दिसंबर 2018 में अपने अंतरिम फैसले में इस बात को माना था कि इसमें कोई शक नहीं है कि चीन के अंदर कैदियों के अंग निकालने का कार्य बीते कई सालों से चल रहा है. साथ ही इसके पीड़ितों की संख्या भी अच्छी खासी है. वहीं, फालुन गोंग चीन में सबसे मजबूत संगठन माना जाता है. बता दें कि इस पंथ के गुरू ली होंग झी के बारे में एक बिजनेसमैन वांग कहते हैं कि हम उन्हें ईश्वर की तरह मानते हैं, जैसे लोग ईशा और मोहम्मद जैसा ही है. हम यह मानकर चलते हैं कि उनके ज्ञान का स्तर बहुत ऊंचा है.
फालुन गोंग को उनके अनुयायी चमत्कारी बताते हैं
वांग और उनकी पत्नी बीते दस सालों से उनके अनुयायी है, जहां वांग की पत्नी कहती हैं कि फालुन गोंग चमत्कारी हैं. उन्होंने कहा कि दो दशक पहले उन्हें हेपेटाइटिस बीमारी का पता चला. फालुन गोंग के सेशन में शामिल होने के बाद वह काफी अच्छा महसूस करती हैं. यह बीमारी कब खत्म उसका कुछ पता ही नहीं चल पाया. हालांकि बीमारी खत्म करने को लेकर गोंग जो दावे करते हैं उसके कोई मेडिकल सबूत नहीं है.
फालुन पंथ की शुरुआत साल 1992 में हुई
इस पंथ की शुरुआत साल 1992 के बाद से ही इसके लगातार अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई है. राज्य के हस्तक्षेप के खिलाफ हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया है. जिसके बाद इस पंथ के प्रमुखों ने आरोप लगाया कि सरकार ने उनका दमन किया है. इसके बाद गोंग पंथ के मानने वालों के खिलाफ सरकार की ओर से दमन शुरु हो गया. चीनी कम्युनिस्ट के आलोचकों का मानना है कि फालुन गोंग की लोकप्रियता और बढ़ते प्रभाव से सरकार डर गई थी और आध्यात्मिक पंथ को खत्म करने पर अमादा हो गई.
चीन के बाहर बढ़ी पंथ लोकप्रियता
फालुन गोंग का मानना है कि उनके दुनिया के 40 देशों में अनुयायी हैं और 40 भाषाओं में उनके विचारों को पढ़ाया जाता है. लेकिन जहां इस पंथ की स्थापना हुई वह अब इसका कुछ नामों निशाना नहीं बचा है. अनुयायी कहते हैं कि हम मानते हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी बहुत बुरी है, इसलिए उसकी हर कोशिश फालुन गोंग को खत्म करने के लिए होती है. इसके साथ ही पंथ के लोगों का मानना है कि सीसीपी का दावा बिल्कुल गलत है कि हम लोगों को दवाई लेने से मना करते हैं. इसी पंथ के गुरु कहते हैं कि हमारा सिर्फ इतना मानना है कि एक बीमारी का लोगों में अलग-अलग कारण है. लेकिन कभी नहीं कहते हैं कि जब आपको बीमारी हो तो आप अस्पताल में मत जाओ.