Sudan Refugee Camp: सूडान में युद्ध से बचकर भागी कुछ महिलाओं का कहना है कि चाड में शरणार्थी के रूप में उन्हें यौन शोषण का सामना करना पड़ता है. चाड में प्रवेश करते समय 27 वर्षीय युवती ने सोचा कि वह सूडान के युद्ध की भयावहता को पीछे छोड़ आई है. भागते समय वह जिन शवों पर चढ़ी, बलात्कार की शिकार लड़कियों की चीखें, बंदूकधारियों के हमले के समय उसके पति गायब हो गए.
एबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट में महिला की आपबीती बताई गई है. महिला ने बताया कि शरणार्थी शिविर में उसने अपने पति को खोने के बाद और भी दर्द झेला है. यहां पर जिंदा रहने के लिए उसे सेक्स करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वह अपने सात सप्ताह के बेटे को गोद में लिये हुए थी, जिसके बारे में उसने दावा किया कि वह एक सहायता कर्मी का बच्चा है, जिसने उसे सेक्स के बदले पैसे देने का वादा किया था.
महिला ने बताया कि उसके चार बच्चे और थे वे रो रहे थे. हमारे पास खाना खत्म हो गया था. महिला ने बताया कि शरणार्थी शिवर में सहायता कर्मी ने उसके साथ गलत व्यवहार किया. मीडिया कर्मियों से महिलाओं नाम न बताने की शर्त पर ये बातें कहीं. उनको डर है कि ये बातें मीडिया में जाने के बाद उनके साथ और भी दुर्व्यवहार हो सकता है.
सूडानी महिलाओं और लड़कियों ने बताया कि मानवीय कार्यकर्ता और स्थानीय सुरक्षा बल के लोग उनको सेक्स के लिए मजबूर कर रहे हैं. महिलाओं ने कहा कि चाड के विस्थापन स्थलों पर उनका यौन शोषण किया गया, उन्हें पैसे, सहायता और नौकरियों तक आसान पहुंच का लालच दिया है. चाड में इस तरह का यौन शोषण एक अपराध है.
दरअसल, सूडान के गृहयुद्ध से बचने के लिए लाखों लोग, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं चाड में आ गए हैं. इस गृहयुद्ध में 20 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं. सहायता समूह बढ़ते विस्थापन स्थलों पर उन्हें सहारा देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सूडानी सीमा के पास आद्रे कस्बे में तीन महिलाओं ने एपी से बात की. एक सूडानी मनोवैज्ञानिक ने सात अन्य महिलाओं और लड़कियों के बारे में बताया, जिन्होंने या तो रिपोर्टर से सीधे बात करने से इनकार कर दिया या अब उनके संपर्क में नहीं हैं. एपी उनके बयानों की पुष्टि नहीं कर सका.
मनोवैज्ञानिक दाराल-सलाम उमर ने बताया कि सभी सातों ने उनसे कहा कि वे सेक्स के बदले में लाभ के प्रस्ताव के साथ मजबूरी में चली गईं. उन्होंने बताया कि कुछ ने उनकी मदद इसलिए मांगी क्योंकि वे गर्भवती हो गई थीं और अपने समुदाय द्वारा बहिष्कृत किए जाने के डर से क्लिनिक में गर्भपात नहीं करा सकती थीं. उमर ने कहा, "वे मानसिक रूप से टूट चुकी थी. कल्पना कीजिए कि ऐसी स्थिति में एक महिला बिना पति के गर्भवती हो जाए." First Updated : Saturday, 16 November 2024