खतरे में इस देश की मुस्लिम लड़कियां, मौलवी को मिला शादी की उम्र तय करने अधिकार, 65 साल बदला कानून
Muslim Girls Marriage: इराक में महिलाओं के अधिकारों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में, इराकी संसद ने ऐसा विवादास्पद कानून पारित किया है, जिसके तहत लड़कियों की शादी की उम्र तय करने का अधिकार अब मौलवियों को दे दिया गया है. इस फैसले के बाद महिलाओं के बीच डर और गुस्से का माहौल है.

Muslim Girls Marriage: इराक ने 65 साल पुराने कानून में बड़ा बदलाव करते हुए लड़कियों की शादी की उम्र तय करने का अधिकार मौलवियों को सौंप दिया है. यह कदम विवादों के घेरे में आ गया है, क्योंकि इससे महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा है. महिलाओं को डर है कि इस कानून की आड़ में उन्हें उनके घरों में बंधक बना दिया जाएगा और उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे.
इराक की संसद ने हाल ही में तीन विवादास्पद कानूनों को मंजूरी दी है. इनमें से एक कानून ऐसा है, जो मौलवियों को यह तय करने का अधिकार देता है कि लड़कियों की शादी की उम्र क्या होनी चाहिए. इससे 1959 के उस कानून को कमजोर किया गया है, जिसके तहत लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई थी.
9 साल की उम्र में शादी की अनुमति का डर
इस नए कानून के तहत मौलवी इस्लामी कानूनों की व्याख्या करके तय करेंगे कि 9 साल की लड़की की शादी हो सकती है या नहीं. यह कानून जाफरी इस्लामी विचारधारा को मान्यता देता है, जो 9 साल की लड़कियों के विवाह की अनुमति देता है. इस कदम से महिलाओं के अधिकारों पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है और यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की चिंता का विषय बन गया है.
शिया नेताओं का तर्क: इस्लामी सिद्धांतों का पालन
शिया समर्थक नेताओं का कहना है कि यह कानून इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार है और पश्चिमी सभ्यता के सांस्कृतिक प्रभावों को रोकने के लिए जरूरी है। लेकिन महिलाओं और मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस कानून से महिलाओं के अधिकारों का हनन होगा और उन्हें घरों में कैद कर दिया जाएगा।
भ्रष्टाचार के दोषियों को रिहाई का रास्ता
संसद ने एक सामान्य माफी कानून भी पास किया है, जिससे भ्रष्टाचार और गबन के मामलों में जेल में बंद सुन्नी बंदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा।
बिना वोटिंग पास हुए कानून, उठे सवाल
इस कानून को लेकर पार्लियामेंट में बड़ा विवाद हुआ, क्योंकि आधे से ज्यादा सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। निर्दलीय सांसद नूर नफी अली ने सोशल मीडिया पर लिखा, “कानून बिना वोटिंग पास कर दिए गए हैं। यह एक मजाक है।”