Israel Hamas War: हमास के हमले के बाद मध्य एशिया में एक बार फिर से अशांति का दौर देखने को मिल रहा है. इजरायल और हमास के बीच जंग अपने चरम पर है और दुनिया दो खेमें बट चुकी है. इस युद्ध को लेकर गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की तरफ से भारत से संबंधित जो बयान सामने आया उसके बाद एक नई बहस ने जन्म ले लिया. बाइडेन का कहना है कि उन्हें भरोसा है कि हमास ने जिन वजहों से इजरायल पर हमला किया उनमें भारत का मिडिल ईस्ट कॉरिडोर भी शामिल है. बता दें कि ये कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है जो दुनिया को व्यापार का एक नया रास्ता देने वाला है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथोनी अल्बनीज के साथ संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि हमास ने जिन वजहों से इजरायल पर हमला किया, उनमें एक यह भी है कि हम इजरायल का क्षेत्रीय देशों के साथ एकीकरण बढ़ा रहे थे. हालांकि मेरे पास इसका सबूत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि हम इस काम को पीछे नहीं छोड़ सकते हैं. गत 7 अक्टूबर को हमास के इस हमले में इजरायल और अन्य देशों के 1400 लोग मारे गए थे.
क्या इस हमले के पीछे है चीन का हाथ?
हमास और इजरायल के बीच जो खूनी संघर्ष जारी है उसमें चीन का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है. हमास जिस प्रकार से आधुनिक और खतरनाक हथियारों का प्रयोग कर रहा है उससे यह अंदेशा जताया जा रहा है कि उसके पीछे किसी आधुनिक हथियार संपन्न देश का हाथ है. अब सवाल उठता है कि आखिर चीन ऐसा क्यों कर सकता है?
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हो सकता है 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर' (IMEC). इस कॉरिडोर के बनने से चीन के 'बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) का काट निकल आएगा. बता दें कि बीआरआई के जरिए चीन मध्य एशिया से होते हुए मिडिल ईस्ट और फिर यूरोप तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है.
भारत और पीएम मोदी को क्यों ठहराया जा रहा जिम्मेदार?
अमेरिकी राष्ट्रपिति ने हमास और इजरायल के संघर्ष के तार भारत से इसलिए जोड़े हैं क्योंकि 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर' (IMEC) की पेशकश भारत की तरफ से की गई है. हाल ही में हुए G20 शिखर सम्मेलन में भारत ने दुनिया के सामने यह प्रस्ताव रखा था जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इस कॉरिडोर के तैयार हो जाने के बाद भारत, मध्यएशिया और यूरोप के देशों के साथ सीधे तौर पर जुड़ जाएगा. इससे सबसे ज्यादा हानि चीन को होने वाली है. बता दें कि इस कॉरिडोर में इजरायल की भी काफी बड़ी भूमिका होने वाली है और इससे मुस्लिम देशों के साथ इजरायल के संबंधों में सुधार होने के अलावा दुनियाभर के बड़े देशों में उसकी पैठ बढ़ेगी.
क्या है IMEC और इसमें कौन से देश शामिल?
IMEC का फुल फॉर्म इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर है. 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर' के जरिए भारत में बना सामान पहले समुद्र के रास्ते संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाएगा. फिर यूएई से सऊदी अरब, जॉर्डन होते हुए ये रेलमार्ग से इजरायल के हाइफा बंदरगाह तक पहुंचेगा. इसके बाद समुद्री मार्ग के जरिए भारतीय सामान को हाइफा से यूरोप पहुंचाया जाएगा. इस पूरे रास्ते में मुख्य भूमिका रेलमार्ग और समुद्री जलमार्ग की होगी.
इजरायल की होगी बड़ी भूमिका
यह पूरा कॉरिडोर समुद्रीमार्ग, रेलमार्ग आदि पर आधारित होगा. अन्य बंदरगाहों के अलावा इजरायल में मौजूद हाइफा बंदरगाह भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है. समुद्र और रेल मार्ग से होकर जब सामान इजरायल के हाइफा बंदरगाह तक पहुंचेगा तो उस बंदरगाह से सामान आगे पहुंचाने पर काम किया जाएगा. इसके बाद उसे एक बार फिरे से समुद्री मार्ग से आगे के लिए रवाना कर दिया जाएगा. यह कॉरिडोर न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल और बांग्लादेश के सामान को भी मिडिल एशिया, इटली जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में पहुंच पाएगा. First Updated : Thursday, 26 October 2023