Pakistan Politics: पाकिस्तान की राजनीति आजादी के बाद से अस्थिर रही है, वह हर दिन गुजरने के साथ ही विभाजनकारी होती रही है. आज तक कभी कोई प्रधानमंत्री पाकिस्तान में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. कभी उसका तख्ता पलट हो जाता है तो कभी वह मार दिया जाता है. ऐसे में पाकिस्तान की राजनीति हमेशा अस्थिर ही रही है. जहां एक तरफ साल 2018 में पाकिस्तान जनरल इलेक्शन में मुस्लिग लीग-नवाज को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था तो वहीं, वर्तमान समय में तहरीक-ए-इंसाफ की स्थिति बनी हुई है.
दोनों ही पार्टियों ने अपने बुरे वक्त में अस्थिरता को लेकर सारा ठीकरा पाकिस्तानी सेना (इस्टैब्लिशमेंट) पर फोड़ा है. वहीं, पाक की तीसरी सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के पाकिस्तान सेना के साथ गिले-शिकवे काफी पुराने रहे हैं. ऐसे में आम लोगों को मन में सवाल आता रहता है कि जब देश की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सेना के दबाव से दुखी है तो यह एक मोर्चे पर आकर सेना का विरोध क्यों नहीं करती है?
सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ के बाद तहरीक-ए-इंसाफ से अलविदा कहने वाले नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री असद उमर ने कहा कि पाकिस्तान में रियल पावर इस्टैब्लिशमेंट है. इसलिए उनके साथ बैठकर बातचीत के साथ दोनों को अपना एक दायरा बनाना चाहिए. जब असद से सवाल पूछा गया कि सेना के मामले में सभी राजनैतिक पार्टियां एक मंच पर आकर बातचीत क्यों नहीं करती है? तो उन्होंने कहा कि जब कभी संसद में किन्हीं समस्याओं पर बातचीत होती है तो उसके समाधान के लिए सभी पार्टियां एक मंच पर आकर समाधान पर बातचीत करती है. लेकिन अब राजनैतिक दलों के बीच विभाजनकारी चीजे निर्मित हो गई है.
बातचीत के मुद्दे पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान कई मौके पर कह चुके हैं कि वह किसी विरोधी दल से बात नहीं करेंगे, क्योंकि वह किसी नेता के पूर्व भ्रष्टाचार को माफ नहीं करना चाहते हैं. इस मुद्दे पर जब असद से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब राजनीति इतना बंट गई है कि अगर कोई बातचीत के लिए मन भी बना ले तो उसे शक की निगाह से देखा जाता है. अगर दोनों दलों के बीच बातचीत बंद होती है तो कोई दूसरा रास्ता अपनाया जाता है. जहां पाकिस्तानी सेना की भूमिका अहम हो जाती है और सभी दल उसके पास जाते हैं. जब असद ने पाकिस्तानी सेना पर खुलकर अपनी बात रखी तो वह उस समय पीटीआई के सदस्य थे लेकिन इसके बाद उन्होंने पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया.
मुस्लिम लीग-नवाज के नेता एहसन इक़बाल ने कहा कि जब तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता में थी तो हमने देश की अर्थव्यवस्था साथ बैठकर इस समस्या से निकलने पर बातचीत करने के लिए कहा था. लेकिन इसके जवाब में इमरान ने कहा कि विपक्ष मांग कर रहा है कि भ्रष्टाचार की जांच न हो. इसलिए हमने कहा कि आप अपनी बातचीत अपने पास रखें. वहीं, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की शाजिया ने कहा कि पाकिस्तान की राजनीति में विभाजनकारी बीज तो बहुत पहले बो गया था. जब जनरल जिया का शासनकाल तब इसका बीज बो गया था. लेकिन अब यह स्थिर बन चुका है. जो बेहद खतरनाक है.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हमने पिछली सरकार (तहरीक-ए-इंसाफ) में देखा कि कैसे नेताओं के बीच विभाजन बढ़ा और अराजकता को हवा दी गई. लोगों के बीच नफरत की बातें करते रहे और विभाजनकारी योजनाओं को मजबूत किया जाता रहा. इस मुद्दे पर एहसन इक़बाल ने कहा कि 'अतीत में इस्टैब्लिशमेंट एक हाइब्रिड सिस्टम रहा था. उन्होंने इमरान सरकार में औपचारिक रूप से सरकार चलाने की कोशिश की थी. लेकिन वह पूरी तरीके से कामयाब नहीं हो पाए. First Updated : Tuesday, 16 January 2024