क्या पृथ्वी बच पाएगी?भारत समेत दुनियाभर में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, विशेषज्ञों ने बताया बड़ा खतरा
साल 2024-25 की सर्दी के दौरान तापमान ने नए रिकॉर्ड बना दिए हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि अब गर्मी को लेकर एक और खतरनाक अनुमान सामने आया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के करीब है, जिससे जलवायु संकट और बढ़ सकता है.

वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग को लेकर एक और चौंकाने वाली चेतावनी दी है. यूरोप की प्रतिष्ठित संस्था कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) की नई रिपोर्ट के अनुसार, यदि पृथ्वी का तापमान इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो सितंबर 2029 तक यह 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा. यह आंकड़ा जलवायु परिवर्तन के खतरनाक मोड़ की ओर इशारा करता है, क्योंकि इससे पहले वैज्ञानिकों ने 2030 के दशक की शुरुआत में इस सीमा तक पहुंचने का अनुमान लगाया था.
C3S के मुताबिक, वर्तमान में धरती का तापमान औद्योगिक युग से पहले के स्तर की तुलना में 1.38°C अधिक हो चुका है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह सीमा पार हो जाती है, तो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और विनाशकारी हो सकते हैं.
ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरनाक संकेत
C3S ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जलवायु परिवर्तन का रुख़ पिछले 200 वर्षों से लगातार गर्मी की ओर रहा है. इस संस्था ने सोशल मीडिया पर साझा किए अपने डेटा में कहा कि यह कोई सीधा पूर्वानुमान नहीं है, लेकिन वर्तमान ट्रेंड को देखते हुए सितंबर 2029 तक तापमान में यह वृद्धि हो सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की शुरुआत से ही धरती ने लगातार 12 महीनों तक 1850-1900 के औसत तापमान से 1.5°C अधिक गर्मी दर्ज की है. यह आंकड़ा जलवायु संकट की गंभीरता को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि दुनिया पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों से दूर होती जा रही है.
पेरिस समझौते से पीछे हटता अमेरिका
गौरतलब है कि 2016 में हुए ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते के तहत वैश्विक तापमान को 1.5°C के अंदर सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए यह लक्ष्य मुश्किल नजर आ रहा है. इस बीच, अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस समझौते से बाहर होने के फैसले ने चिंता और बढ़ा दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका जैसे बड़े देश की भागीदारी के बिना, जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण और कठिन हो सकता है.
क्या होगा 1.5°C सीमा पार होने के बाद?
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के प्रमुख जिम स्की का कहना है कि 1.5°C की सीमा का टूटना पृथ्वी के लिए एक निर्णायक मोड़ होगा. इससे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव तेज़ और अकल्पनीय हो सकते हैं. उन्होंने कहा, "यदि तापमान 2°C बढ़ गया तो कोरल रीफ्स पूरी तरह से नष्ट हो सकते हैं, जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ेंगी और जैव विविधता को भारी नुकसान होगा. वास्तव में, ग्लोबल वॉर्मिंग में 1°C की भी वृद्धि हमारे भविष्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है.
भारत समेत पूरी दुनिया में रिकॉर्डतोड़ गर्मी
C3S की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 18 महीनों में भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई. भारत में दिसंबर, जनवरी और फरवरी अब तक के सबसे गर्म महीने रहे हैं. भारत के पूर्व पृथ्वी विज्ञान सचिव एम. राजीवन ने इस रिपोर्ट को चिंताजनक बताया, लेकिन कहा कि यह अप्रत्याशित नहीं है. उन्होंने कहा, "हम उम्मीद से कहीं पहले 1.5°C की सीमा पार करने की ओर बढ़ रहे हैं. जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को देखते हुए हमें इससे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है."