भारत के समर्थन में फ्रांस, इमैनुएल मैक्रों UN में खुले दिल रखी ये मांग
Emmanuel Macron Supports India: भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग पर अब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने खुले दिल से समर्थन किया है. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में मैक्रों ने जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील समेत अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधित्व को जरूरी बताया है. वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी UNSC में सुधार की जरूरत बताई है.
Emmanuel Macron Supports India: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के विस्तार की जरूरत पर जोर देते हुए भारत की दावेदारी को महत्वपूर्ण बताया. बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी सुरक्षा परिषद की आवश्यकता है जो अधिक प्रभावी और प्रतिनिधित्वकारी हो.
मैक्रों ने कहा कि फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है. उन्होंने सुझाव दिया कि जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया जाना चाहिए, साथ ही दो अफ्रीकी देशों को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.
भारत की लंबे समय से मांग
भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग करता रहा है. भारत का कहना है कि 1945 में स्थापित यह 15 देशों की परिषद 21वीं सदी के उद्देश्यों के लिए अनुकूल नहीं है और वर्तमान वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य को नहीं दर्शाती है. भारत के अनुसार, उसे सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का अधिकार है.
सुरक्षा परिषद की मौजूदा संरचना
वर्तमान में UNSC में पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य हैं. स्थायी सदस्यों में रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका शामिल हैं, जिनके पास वीटो अधिकार है. अस्थायी सदस्य दो साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं.
मैक्रों का सुधारों पर जोर
मैक्रों ने सुरक्षा परिषद के कामकाज में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और सामूहिक अपराधों के मामलों में वीटो अधिकार को सीमित करने की बात कही. उन्होंने शांति बनाए रखने के लिए बेहतर निर्णय लेने की आवश्यकता पर भी बल दिया. उनका मानना है कि सुरक्षा परिषद को जमीन पर बेहतर तरीके से काम करने के लिए अधिक दक्षता हासिल करनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी सुरक्षा परिषद को 'पुरानी' प्रणाली बताया और इसके अधिकारों के घटते प्रभाव की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि अगर UNSC में सुधार नहीं किया गया, तो यह अपनी विश्वसनीयता खो देगी. उन्होंने कहा कि हम अपने दादा-दादी के लिए बनाई गई प्रणाली से अपने पोते-पोतियों के भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते.