US-Elections: पिछले शोध से पता चला है कि वयस्क मानव और स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे उम्मीदवार की तस्वीर देखकर चुनाव परिणामों का सही अनुमान लगा सकते हैं. इस बात के कई प्रमाण हैं कि हमारा मस्तिष्क पहली नजर में ही व्यक्ति की शारीरिक उपस्थिति के आधार पर प्रभाव बनाने की क्षमता रखता है. हालांकि, वैज्ञानिक अब तक यह नहीं समझ पाए हैं कि यह पूर्वाग्रह क्यों मौजूद है. रीसस मकाक बंदरों पर हुए नए अध्ययन ने कुछ उत्तर प्रदान किए हैं, जो ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी’ में प्रकाशित किया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में इस बार कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है. पोलस्टर और राजनीतिक पंडित चुनाव परिणामों की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए मतदान के रुझानों का विश्लेषण करने में लगे हुए हैं. हालांकि, एक नई शोध से यह संकेत मिलता है कि चुनावी फैसलों के पीछे केवल राजनीतिक रणनीति और आंकड़े ही नहीं बल्कि मानव मस्तिष्क की प्रारंभिक प्रवृत्तियां भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.
शोध में यह बात सामने आई है कि जब लोग चुनाव जैसे निर्णय लेते हैं, तो वे जितना तर्कसंगत समझते हैं, उतने नहीं होते. मनुष्यों के पास एक तर्कसंगत मस्तिष्क होता है, जो विचारशील तरीके से प्रमाणों का मूल्यांकन कर सकता है. लेकिन मस्तिष्क की प्रारंभिक प्रवृत्तियों के कारण तर्कसंगतता प्रभावित होती है. यह प्रवृत्ति उन स्थितियों में भी सक्रिय होती है, जहां तार्किक निर्णय लेना अधिक फायदेमंद हो सकता है.
शोधकर्ता पिछले 25 वर्षों से रीसस मकाक बंदरों पर अध्ययन कर रहे हैं. इन बंदरों की आनुवंशिकी, शारीरिक संरचना और व्यवहार मनुष्यों से मिलते-जुलते हैं. यह समानताएं चिकित्सा अनुसंधान के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण रही हैं, जैसे कि पोलियो, एचआईवी/एड्स और कोविड-19 के टीके विकसित करने में. इन बंदरों पर किए गए अध्ययन ने डीप ब्रेन स्टिमुलेशन जैसी चिकित्सा तकनीकों में भी मदद की है, जो पार्किंसंस और अन्य विकारों के इलाज में प्रभावी हैं.
पिछले अध्ययनों से यह भी पता चला है कि मनुष्य अक्सर केवल उम्मीदवार की तस्वीर देखकर ही चुनाव परिणामों का सटीक अनुमान लगा लेते हैं. इसका मुख्य कारण मस्तिष्क की प्रवृत्ति है, जो लोगों को शारीरिक उपस्थिति के आधार पर पहले प्रभाव बनाने के लिए प्रेरित करती है. हालांकि, वैज्ञानिक अब तक यह नहीं समझ पाए थे कि यह प्रवृत्ति क्यों बनी रहती है.
हाल ही में प्रकाशित शोध में बंदरों को अमेरिकी गवर्नर और सीनेट चुनावों के उम्मीदवारों की तस्वीरें दिखाई गईं. अध्ययन में यह देखा गया कि बंदर पूरी तरह से दृश्य विशेषताओं के आधार पर चुनाव परिणामों की सटीक प्रतिक्रिया देते हैं. सबसे दिलचस्प बात यह रही कि बंदरों ने विजेता की तुलना में हारने वाले उम्मीदवार को अधिक समय तक देखा. इससे यह स्पष्ट होता है कि शारीरिक उपस्थिति पर आधारित ये पूर्वाग्रह केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि मनुष्यों के प्राचीन प्राइमेट रिश्तेदारों में भी पाए जाते हैं.
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि इन पूर्वाग्रहों का प्रभाव चुनाव परिणामों और उम्मीदवारों के वोट शेयर के पूर्वानुमान में मददगार हो सकता है. हालांकि, मतदाता मकाक नहीं हैं, लेकिन मनुष्यों और इन प्राइमेट रिश्तेदारों में कुछ मूल प्रवृत्तियां समान होती हैं. ये प्रवृत्तियां आज भी सूक्ष्म रूप से हमारे निर्णयों को प्रभावित करती हैं.
इन शोधों से यह समझने में मदद मिल सकती है कि हमारे निर्णय कैसे प्रभावित होते हैं. प्राचीन संकेतों की भूमिका को स्वीकार करना मतदाताओं को अपनी निर्णय प्रक्रिया के प्रति अधिक जागरूक बना सकता है. जैसे-जैसे लोकतंत्र विकसित हो रहा है, वैसे-वैसे मनुष्यों को भी यह समझना जरूरी है कि वे अपने मतदान के अधिकार का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग कैसे करें. First Updated : Monday, 04 November 2024