पहले तस्लीमा, अब शेख हसीना, कट्टरपंथियों पर क्यों भड़कीं नसरीन?
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसक झड़पों के बाद हालात गंभीर हो गए हैं. देश भर में प्रदर्शनकारियों की हिंसा जारी है। रविवार को हुई ताज़ा हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिससे कुल मृतकों की संख्या 300 से अधिक हो गई है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और दिल्ली पहुंच गई हैं.
बांग्लादेश इस समय हिंसा की आग में जल रहा है, और चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. आरक्षण के मुद्दे पर भड़की हिंसा ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है. बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने और लूटपाट की खबरें आ रही हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी. कट्टरपंथियों के इस कृत्य की चारों ओर कड़ी निंदा हो रही है. बांग्लादेश की प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी इस हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इस स्थिति के लिए शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया है.
तसलीमा नसरिन ने बताया शेख हसीना ने क्यों छोड़ा देश
इस बीच बांग्लादेश से निर्वासित होकर भारत में रह रहीं तसलीमा नसरिन ने अपने सोशल मीडिया (X) पर लिखा कि, '1999 में जब मैं अपनी मां को उनकी मृत्यु शय्या पर देखने के लिए बांग्लादेश में दाखिल हुआ तो इस्लामवादियों को खुश करने के लिए हसीना ने मुझे अपने देश से बाहर निकाल दिया और फिर कभी मुझे देश में प्रवेश नहीं करने दिया. छात्र आंदोलन में वही इस्लामवादी शामिल रहे हैं जिन्होंने आज हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया.
'शेख हसीना अपनी स्थिति के लिए खुद जिम्मेदार'
दूसरे ट्वीट में तसलीमा नसरिन ने लिखा कि हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. वह अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार थी. उसने इस्लामवादियों को बढ़ने के लिए प्रेरित किया. उसने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने की अनुमति दी. अब बांग्लादेश को पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए. सेना को शासन नहीं करना चाहिए. राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता लानी चाहिए.
कौन हैं तसलीमा नसरीन
तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की एक चर्चित लेखिका हैं, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से इस्लाम के कट्टरपंथ पर लगातार प्रहार किया है. तसलीमा ने उपन्यास और कविताओं दोनों में अपने विचारों को व्यक्त किया है. उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘लज्जा’ पर भारत में एक फिल्म भी बन चुकी है. इस उपन्यास में उन्होंने इस्लाम में व्याप्त कुरुतियों को उजागर किया है, जिसके चलते उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया. इस कारण तसलीमा को अपनी मातृभूमि बांग्लादेश छोड़नी पड़ी और अन्य देशों में शरण लेनी पड़ी. अब वे लंबे समय से भारत में रह रही हैं. तसलीमा पेशे से एक डॉक्टर थीं, लेकिन बाद में उन्होंने लेखन को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया.